बेंगलुरु, 26 सितंबर : कर्नाटक के विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भूआवंटन मामले में एक विशेष अदालत द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त जांच का आदेश दिये जाने के बाद उनके (मुख्यमंत्री के) इस्तीफे की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया. विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक एवं विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाड़ी नारायणस्वामी के नेतृत्व में यहां विधान सौध में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया गया जिसमें पार्टी के कई सांसदों एवं नेताओं ने हिस्सा लिया. विधान सौध में विधानमंडल एवं सचिवालय है. प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग संबंधी नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया. उनके हाथों में तख्तियां थीं.
बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूआवंटन मामले में सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का बुधवार को आदेश दिया था. अब उसके बाद उनके विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया है. विशेष अदालत के न्यायाधीश गजानन भट के इस आदेश से एक दिन पहले उच्च न्यायालय ने सिद्धरमैया की पत्नी बी एम पार्वती को एमयूडीए द्वारा किये गये 14 भूखंडों के आवंटन में अवैधता के आरोपों के सिलसिले में मुख्यमंत्री के खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई जांच की मंजूरी को कायम रखा था. यह भी पढ़ें : कीर्ति आजाद और डोला सेन को संसदीय समितियों का अध्यक्ष नामित कर सकती है टीएमसी
पूर्व एवं वर्तमान सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए गठित विशेष अदालत ने मैसूरु की लोकायुक्त पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की शिकायत पर जांच शुरू करने का आदेश दिया था. बुधवार को विशेष अदालत का आदेश आने के शीघ्र बाद भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की . उनकी यह भी मांग थी कि इसकी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच के लिए इसे स्वतंत्र जांच एजेंसी सीबीआई के हाथों में दे दिया जाए. सिद्धरमैया ने मंगलवार को उच्च न्यायालय के आदेश के बाद स्पष्ट कर दिया था कि वह इस्तीफा देने नहीं जा रहे हैं.
बुधवार को विशेष अदालत के फैसले के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जांच का सामना करने को तैयार हैं.
एमयूडीए भू आवंटन मामले में आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी बी एम पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में मुआवजे के तौर पर जो भूखंड आवंटित किये गये थे, उनकी कीमत एमयूडीए द्वारा अधिग्रहीत की गयी जमीन की तुलना में काफी अधिक थी. एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे. इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी. आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था.