जोधपुर, 30 सितंबर राजस्थान की पारिवारिक न्यायालय ने जोधपुर में महज चार महीने की उम्र में एक बच्ची की हुई शादी को 20 साल बाद सोमवार को रद्द कर दिया।
यह मामला बाल विवाहों को रद्द करने के पिछले मामलों से थोड़ा भिन्न था, क्योंकि अदालत ने उसके पति को आदेश दिया कि वह मुकदमेबाजी की प्रक्रिया में अनीता द्वारा खर्च की गई राशि उसे दे।
किसान की बेटी अनीता की शादी चार महीने की उम्र में ही कर दी गई थी। जब अनीता 15 साल की हुई तो उसके ससुराल वालों ने उसे ससुराल भेजने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
उसने अपने बड़े भाई और बहन के सहयोग से ऐसे सभी प्रयासों का विरोध किया, और बाद में उसकी मुलाकात सार्थी ट्रस्ट की प्रबंध ट्रस्टी कृति भारती से हुई।
भारती ने कहा, "सोमवार को पारिवारिक न्यायालय के पीठासीन अधिकारी वरुण तलवार ने विवाह को रद्द करने का आदेश दिया तथा ससुराल वालों को मुकदमे का खर्च भी देने का निर्देश दिया।"
आदेश में कहा गया है, ‘‘बाल विवाह न केवल एक बुराई है, बल्कि एक अपराध भी है। इससे बच्चों का भविष्य खराब होता है। अगर लड़का या लड़की बाल विवाह जारी नहीं रखना चाहते हैं, तो उन्हें बाल विवाह रद्द करने का अधिकार है। बाल विवाह की बुराई को खत्म करने के लिए समाज स्तर पर महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।"
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