श्रीनगर, 25 मार्च: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (Jammu and Kashmir People's Democratic Party) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए जारी सोशल मीडिया दिशानिर्देश आजीविका से लोगों को बेदखल करने की खुली धमकी है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) के वरिष्ठ नेता एम. वाई. तारिगामी ने भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी होने का मतलब नागरिक के रूप में मिले सभी वैध संवैधानिक अधिकारों को छोड़ देना नहीं है. यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में 2024 के तक वंदे भारत ट्रेन होगी : अश्विनी वैष्णव
मुफ्ती ने ट्वीट किया, “चाहे ठेकेदारों को काली सूची में डालना हो या कर्मचारियों को सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से रोकना, जम्मू-कश्मीर में लोगों को आजीविका से बेदखल करने का एक स्पष्ट खतरा सामने आया है। लोगों के मौलिक अधिकारों का पूरी तरह से हनन करते हुए अधिकारी इंसाफ के ठेकेदार और जल्लाद बन गए हैं.”
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अपने कर्मचारियों को सोशल मीडिया पर कोई भी ऐसी सामग्री पोस्ट करने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है, जो सरकार द्वारा अपनाई गई किसी भी नीति या कार्रवाई के लिहाज से महत्वपूर्ण हो. आदेश नहीं मानने वाले कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है.
तारिगामी ने कहा कि कर्मचारियों को उनसे संबंधित मुद्दों के बारे में अपने विचार व्यक्त करने से रोकना उनके मूल अधिकारों को छीनने के समान है. उन्होंने कहा, "उन्हें नागरिक माना जाना चाहिए, न कि प्रजा." माकपा नेता ने कहा कि कर्मचारी गुलाम नहीं हैं. तारिगामी ने कहा, “उन्होंने सरकार को अपनी सेवाएं दी हैं, लेकिन उन्होंने खुद को उसके हवाले नहीं किया है. प्रशासन को यह बात समझनी चाहिए. एक नागरिक को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता, और अगर ऐसा किया जाता है, तो यह असंवैधानिक और गैरकानूनी है.”
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