नयी दिल्ली, 24 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली पर एक नयी पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है कि उनमें जटिल विषयों को सरल करने का अनोखा गुण था।
जेटली की पुण्यतिथि पर बुधवार को यहां विमोचित पुस्तक ‘ए न्यू इंडिया’ की प्रस्तावना में प्रधानमंत्री ने लिखा है कि जेटली बहुमुखी व्यक्तित्व वाले थे, वह कई लोगों के मित्र थे, उत्कृष्ट विधिक ज्ञान वाले थे, एक प्रभावशाली मंत्री और मुक्कमल संप्रेषक थे।
उक्त पुस्तक दिवंगत जेटली द्वारा 2014 से 2019 के बीच लिखे चुनिंदा लेखों का संकलन है।
मोदी सरकार के पहले वित्त मंत्री जेटली का 24 अगस्त, 2019 को 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
प्रधानमंत्री ने पुस्तक की भूमिका में लिखा है, ‘‘जेटली जी का एक पक्ष बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके जैसे बहुत कम लोग हुए हैं। नीतिगत विषयों पर जबरदस्त पकड़ के साथ एक लोक बुद्धिजीवि के रूप में उन्होंने सार्वजनिक विमर्श में आनंद की विलक्षण विशेषता को जोड़ा जो एक जीवंत लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’
मोदी ने लिखा कि बहुत कम लोगों की जटिल नीतिगत विषयों में स्वाभाविक रुचि होती है और कम ही लोग होते हैं जो उन विषयों पर पकड़ रख सकते हैं।
उन्होंने लिखा, ‘‘ऐसे जटिल विषयों को हल्का करके उनकी सरल तरीके से व्याख्या करने वाले दुर्लभ से दुर्लभतम होते हैं। अरुण जेटली ऐसे ही एक व्यक्ति थे।’’
प्रधानमंत्री ने चर्चाओं और बहसों में विशिष्ट नजरिया लाने और बुद्धिमता पूर्ण विश्लेषण के लिए भी जेटली की सराहना की।
सितंबर 2013 से जेटली के लिखे कुछ ब्लॉग के संदर्भ में मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने संप्रग में नेतृत्व के संकट के बारे में, उनके आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में और भ्रष्टाचार के बारे में लिखा।’’
मोदी ने लिखा कि 2014 के आम चुनाव आते-आते उनके लेख और अधिक प्रभावी हो गये।
उन्होंने नवंबर 2013 में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के विषय पर लिखे जेटली के कुछ ब्लॉग और इसी विषय पर अगस्त 2019 में उनके आखिरी ब्लॉग को भी याद किया।
मोदी ने लिखा कि सार्वजनिक नीति की समझ में दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए अरुण जेटली के ब्लॉग सोने की खान की तरह हैं।
उन्होंने कहा कि जेटली केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में सरकार का दृष्टिकोण रखने वाले सबसे प्रामाणिक स्वरों में शामिल थे।
मोदी ने लिखा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से कहूं तो अरुण जेटली के ब्लॉग पढ़ते हुए मैं न केवल एक मित्र बल्कि एक कुशाग्र व्यक्तित्व की यादों में चला जाता हूं जिसने हमेशा अपनी मेधा को राष्ट्र की सेवा में लगाया।’’
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