
छत्रपति संभाजीनगर, 11 जुलाई आरक्षण आंदोलन कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बृहस्पतिवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को आरोप-प्रत्यारोप में उलझने के बजाय मराठा समुदाय को आरक्षण देना चाहिए ।
उन्होंने चेतावनी दी कि जो लोग इस मांग का विरोध कर रहे हैं वे आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में (इसकी) कीमत चुकायेंगे।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जिन्होंने इस समुदाय के हितों के विरूद्ध काम किया है, उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में हराया जाएगा।
शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सरकार ने मराठा आरक्षण मुद्दे पर चर्चा के लिए हाल में एक सर्वदलीय बैठक बुलायी थी लेकिन विपक्ष ने यह कहते हुए उसका बहिष्कार किया कि इस मुद्दे पर पहले विधानमंडल में चर्चा होनी चाहिए।
जरांगे ने बीड में एक रैली में कहा, ‘‘ विपक्ष को बैठक में (मराठों के लिए) आरक्षण की मांग करनी चाहिए थी। लेकिन यदि सरकार में राजनीतिक इच्छा शक्ति होती तो उसने आरक्षण दे दिया होता। उसे आरोप-प्रत्यारोप में नहीं उलझना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन वे आरक्षण देना ही नहीं चाहते हैं। मुझे संदेह है कि सरकार और विपक्षी दल की मंशा एक जैसी है। लोगों को हमारे नेताओं को आरक्षण की मांग करने के लिए कहना चाहिए, अन्यथा उन्हें वोट मांगने के लिए नहीं आना चाहिए।’’
उन्होंने मंत्री गिरीश महाजन पर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए उनपर भी निशाना साधा।
जरांगे ने कहा, ‘‘ अब वह कहते हैं कि (पिछली अधिसूचना में शामिल) ‘सगे-सोयरे’ उपबंध टिक नहीं पाता। यदि ऐसा है तो (ओबीसी नेता एवं वरिष्ठ मंत्री) छगन भुजबल क्यों मांग कर रहे हैं कि इसे निरस्त कर दिया जाना चाहिए। वे (अन्य पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ता) उत्तेजित क्यों हैं?’’
इस साल के प्रारंभ में सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में सगे-सोयरे उपबंध में कहा गया है कि यदि कोई मराठा (दस्तावेज पेशकर) यह साबित कर देता है कि वह कुनबी है तो उस व्यक्ति के रक्त संबंधी रिश्तेदार (सगे-सोयरे) को भी कुनबी के रूप में मान्यता और उसे ओबीसी आरक्षण मिलना चाहिए। कुनबी एक कृषि समुदाय है और उसे ओबीसी का दर्जा प्राप्त है।
जरांगे ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मराठा समुदाय के दुश्मन नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे शत्रु छगन भुजबल हैं क्योंकि वह उनसभी के नेता हैं (जो ओबीसी श्रेणी में मराठा समुदाय को शामिल करने का विरोध करते हैं।)’’
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