हैटफील्ड (ब्रिटेन), 29 सितंबर : कई लोगों के लिए ठंडे पानी से नहा कर दिन की शुरुआत करना कठिन हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद वे इस आदत को अपनाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि ठंडे पानी से नहाने के संभवत: कई शारीरिक एवं मानसिक लाभ होते हैं. स्वास्थ्य कारणों से ठंडे पानी से नहाने की शुरुआत 19वीं सदी के शुरुआत में की गई थी, जब चिकित्सकों ने ‘‘गर्म एवं उत्तेजित दिमागों को शांत करने और तीव्र इच्छाओं को काबू करने और डर पैदा करने के लिए’’ जेल के कैदिया और शरणार्थियों के लिए यह तरीका इस्तेमाल करने की सिफारिश की थी. इसके अलावा सिलिकॉन वैली जैसी कई जगहों पर लोग स्वास्थ्य कारणों से ठंडे पानी से स्नान करने को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन सबूत क्या दर्शाते हैं? नीदरलैंड के एक व्यापक अध्ययन में पाया गया कि ठंडे जल से स्नान करने वाले लोगों ने गर्म पानी से नहाने वाले लोगों की तुलना में बीमारी के कारण कम छुट्टियां कम लीं.
तीन हजार से अधिक लोगों को चार समूहों में बांट दिया गया. एक समूह को हर रोज गर्म पानी से नहाने को कहा गया, दूसरे समूह को 30 सेकंड के लिए ठंडे पानी से नहाने, तीसरे समूह को 60 सेकंड के लिए ठंडे जल से स्नान करने और चौथे समूह को 90 सेकंड के लिए ठंडे पानी से नहाने को कहा गया. प्रतिभागियों ने एक महीने तक ऐसा करने को कहा गया. (हालांकि 64 प्रतिशत लोगों ने ठंडे पानी से नहाना जारी रखा, क्योंकि उन्हें यह बहुत अच्छा लगा.) अध्ययन में पाया गया कि जिस समूह ने ठंडे जल से स्नान किया था, उनके बीमारी के कारण काम से छुट्टी लेने के मामलों में 29 प्रतिशत की कमी आई. दिलचस्प बात यह है कि ठंडे पानी से नहाने के समय से कोई अंतर नहीं पड़ा. ठंडे जल से स्नान करने वाले लोगों के कम बीमार पड़ने का कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि इसका कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ना हो सकता है. चेक गणराज्य के एक अध्ययन में बताया गया कि जब ‘‘युवा एथलीटों’’ को छह सप्ताह के लिए हर सप्ताह तीन बार ठंडे पानी से नहलाया गया तो इससे उनकी प्रतिरोधी क्षमता में थोड़ा सुधार हुआ. वैसे, इस बात की पुष्टि के लिए और व्यापक अध्ययनों की आवश्यकता है. यह भी पढ़ें : West Bengal Building Collapse: कोलकाता में ढही बिल्डिंग, तीन साल की बच्ची और महिला की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
ठंडा पानी अनुकंपी तंत्रिकातंत्र को भी सक्रिय करता है. यह तंत्रिका तंत्र ‘लड़ो या भागो’ की प्रतिक्रिया (खतरनाक, तनावपूर्ण या भयावह मानी जाने वाली किसी घटना को लेकर एक स्वत: शारीरिक प्रतिक्रिया) को नियंत्रित करता है. जब ठंडे पानी से स्नान जैसी गतिविधियों से यह तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है, तो नॉरएड्रेनालाइन हार्मोन में वृद्धि होती है. जब लोग ठंडे पानी से नहाते हैं, तो हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण यही हार्मोन होता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है. ठंडे पानी से नहाने से रक्त प्रवाह में सुधार के संकेत भी मिलते हैं. ठंडे पानी के संपर्क में आने पर त्वचा में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है. जब ठंडा पानी शरीर पर पड़ना बंद हो जाता है, तो शरीर को खुद को गर्म करना पड़ता है, इसलिए त्वचा की सतह पर रक्त के प्रवाह में वृद्धि होती है. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे रक्त प्रवाह में संभवत: सुधार होता है. व्यायाम के बाद ठंडे पानी से स्नान करने संबंधी अध्ययन में पाया गया है कि चार सप्ताह के बाद मांसपेशियों में रक्त प्रवाह में सुधार हुआ. कुछ सबूत यह भी दर्शाते है कि ठंडे पानी से नहाने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है. एक अध्ययन में पाया गया कि 14 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले ठंडे पानी से नहाने से चयापचय में 350 प्रतिशत की वृद्धि होती है.
शारीरिक लाभों के अलावा ठंडे पानी से नहाने से मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ हो सकता है. एक विचारधारा है कि ठंडे पानी से नहाने से ‘लड़ो या भागो’ प्रतिक्रिया की उत्तेजना के कारण मानसिक सतर्कता बढ़ जाती है. वृद्ध वयस्कों के मस्तिष्क के कार्य में सुधार के लिए चेहरे और गर्दन पर ठंडे पानी का इस्तेमाल मददगार होता है. ठंडे पानी से नहाना अवसाद से निपटने में भी सहायक हो सकता है. इस बात को साबित करने के काफी साक्ष्य है कि ठंडे पानी में डुबकी लगाना या ठंडे पानी से नहाना आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है - भले ही इसके कारण अभी अस्पष्ट हैं, लेकिन ठंडे जल से स्नान आरंभ करने से पहले आपको पता होना चाहिए कि इसके कुछ जोखिम भी हैं. अचानक पड़ने वाला ठंडा पानी शरीर को झटका देता है और यह हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है तथा इससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है या हृदयगति में अनियमितता पैदा हो सकती है.