राज्यों में ‘हेल्थ एंड वेलनेस’ केंद्रों का नाम बदलना ठीक नहीं, स्वास्थ्य पर राजनीति न हो: मनसुख मांडविया
Mansukh Mandaviya

नयी दिल्ली, 10 फरवरी : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने शुक्रवार को कहा कि कई राज्य सरकारें केंद्र की ‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर’ योजना का नाम बदलकर अपने अनुसार उन्हें चला रही हैं, जो गलत है और स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए. मांडविया ने लोकसभा में आंध्र प्रदेश से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्य रघु राम कृष्ण राजू के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही. राजू ने आंध्र प्रदेश में केंद्र की योजना को दूसरे नाम से चलाये जाने की बात कही. मांडविया ने अपने उत्तर में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर योजना शुरू की थी और आज देश में 1,54,000 ऐसे केंद्र खोले जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि इन केंद्रों का उद्देश्य लोगों को योग, पोषण, स्क्रीनिंग आदि की सुविधा प्रदान कर रोगों से मुक्त कराना है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस बाबत राज्यों के साथ एमओयू किये गये और केंद्र सरकार उन्हें 60 प्रतिशत अनुदान देती है, जबकि 40 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य उठाते हैं. उन्होंने कहा कि एमओयू के मुताबिक इन केंद्रों का नाम ‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर’ होना चाहिए, लेकिन कई राज्यों ने इनका नाम बदलकर अपना नामकरण कर लिया. मंत्री ने कहा कि उन्होंने आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों को इस बाबत पत्र लिखा है. मांडविया ने कहा कि इसी तरह पंजाब में भी केंद्र सरकार के योगदान से पूरी अवसंरचना खड़ी की गयी, लेकिन वहां इन सेंटर का नाम ‘मोहल्ला क्लीनिक’ रख दिया गया. उन्होंने कहा कि केंद्र ने पंजाब को भी इस संबंध में पत्र लिखा है और कहा है कि यदि समझौते के अनुसार वे इन केंद्रों को नहीं चलाएंगे तो केंद्र के पास अनुदान बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. मांडविया ने कहा, ‘‘राज्यों को ऐसा नहीं करना चाहिए. हम तो योजना आधारित अनुदान देते हैं. जब राज्यों ने समझौते के अनुसार केंद्र बंद कर दिये तो हमने वहां हैल्थ एंड वैलनेस सेंटर की योजना को बंद मानकर अनुदान देना बंद कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजनीत की जरूरत नहीं है. केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए.’’ मांडविया ने यह भी कहा कि वह इस योजना में राज्यों को दिये जाने वाले आर्थिक सहयोग के संबंध में राज्यवार और लोकसभा क्षेत्रवार आंकड़े सदस्यों को उपलब्ध कराएंगे. उन्होंने आयुष्मान योजना के तहत इलाज के खर्च को मंजूरी नहीं मिलने तक अस्पतालों में गरीब रोगियों का उपचार शुरू नहीं होने संबंधी भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि इस योजना के दौरान जो अनुभव और सुझाव आ रहे हैं, उन पर सरकार काम कर रही है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत मंजूरी की प्रक्रिया अब ऑनलाइन कर दी गयी है जिस पर राज्य द्वारा गठित समिति जल्द से जल्द निर्णय लेती है. मांडविया ने भाजपा की रंजीता कोली के पूरक प्रश्न के उत्तर में सदन को यह भी बताया कि देश में 240 जिलों में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं है और आने वाले दिनों में यदि राज्य सरकारें संबंधित क्षेत्रों के लिए प्रस्ताव भेजती हैं तो मानदंड के आधार पर केंद्र इस दिशा में काम करेगा.

चिकित्सा की पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले छात्रों के संबंध में नियम की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ऐसे छात्रों को नीट परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, वे जिस देश में पढ़ाई करने जा रहे हैं वहां भारत के साढ़े पांच साल के पाठ्यक्रम के समकक्ष पाठ्यक्रम होना चाहिए और जिस भी देश में छात्र जाएं, वहां भी उन्हें प्रैक्टिस करने की अनुमति होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए छात्र इन तीन मानदंडों को पूरा करते हैं और भारत आकर ‘विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा’ (एफएमजीई) पास कर लेते हैं तो वे देश में भी चिकित्सा कार्य कर सकते हैं.