देश की खबरें | इसरो अब नयी प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास पर ध्यान देगा: भारतीय अंतरिक्ष नीति

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल नयी भारतीय अंतरिक्ष नीति बृहस्पतिवार को सार्वजनिक की गयी जिसमें कहा गया है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अभियान संबंधी अंतरिक्ष प्रणालियों के विनिर्माण से हटकर अपनी ऊर्जा आधुनिक प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास में लगाएगा।

सुरक्षा पर मंत्रिमंडल की समिति ने छह अप्रैल को भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 को मंजूरी दी थी। इसमें गैर-सरकारी संस्थाओं को अंतरिक्ष संबंधी वस्तुओं, भूमि-आधारित परिसंपत्तियों और संचार, रिमोट सेंसिंग एवं नौवहन जैसी संबंधित सेवाओं की स्थापना और संचालन के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरू से लेकर अंत तक गतिविधियां संचालित करने की अनुमति भी दी गयी है।

अंतरिक्ष नीति में यह भी उल्लेख है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी या संचार, रिमोट सेंसिंग, डेटा सेवा तथा प्रक्षेपण सेवा जैसी सेवाओं के भारतीय उपभोक्ता इन्हें किसी भी स्रोत से सीधे खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे, चाहे ये सार्वजनिक क्षेत्र की हों या निजी क्षेत्र की।

सरकार ने 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलकर इसमें सुधार की घोषणा की थी और बृहस्पतिवार को इसरो की वेबसाइट पर जारी नयी अंतरिक्ष नीति के अनुसार उसे सुधार के इस दृष्टिकोण को लागू करने की समग्र एवं गतिशील रूपरेखा के तौर पर तैयार किया गया है।

नीति में कहा गया है कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में इसरो मुख्य रूप से नयी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों एवं अनुप्रयोगों के अनुसंधान एवं विकास पर तथा बाहरी अंतरिक्ष की मानवीय समझ को विस्तार देने पर ध्यान देगा।

अंतरिक्ष नीति में कहा गया है कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इसरो नयी प्रणालियों के अनुसंधान और विकास पर ध्यान देगा ताकि अंतरिक्ष अवसंरचना, अंतरिक्ष परिवहन, अंतरिक्ष अनुप्रयोग, क्षमता निर्माण और मानवीय अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्रों में भारत के महत्व को बनाकर रखा जा सके।

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