विदेश की खबरें | इजराइल का संसदीय सत्र आरंभ, न्यायपालिका में परिवर्तनों को लेकर सांसदों के बीच हो सकती है तीखी बहस
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष और रिपब्लिकन पार्टी के नेता केविन मैकार्थी सोमवार को इजराइली संसद (नेसेट) को संबोधित करेंगे, जिसके बाद इस योजना को लेकर तनाव के अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने की आशंका है।

सरकार मैकार्थी की इस यात्रा को इजरायल के प्रति अमेरिका के समर्थन के तौर पर पेश कर रही है। जानकारों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति तथा डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बाइडन को संदेश देने के लिए रिपब्लिकन पार्टी के नेता मैकार्थी को काफी सम्मान प्रदान किया जा रहा है। मैकार्थी 1998 में न्यूट गिंग्रिच के बाद नेसेट को संबोधित करने वाले प्रतिनिधि सभा के दूसरे अध्यक्ष हैं।

बाइडन न्यायपालिका में बदलाव को लेकर सार्वजनिक रूप से चिंता जता चुके हैं और मौटे तौर पर इसी वजह से उन्होंने अब तक इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू को अमेरिका की यात्रा के लिए आमंत्रित नहीं किया है।

बताया जा रहा है कि इजरायल की नेतान्याहू सरकार ने जो योजना बनाई है, उससे अदालत की ताकत काफी कम हो जाएगी। इजरायली अदालतें संसद से बने कानूनों की समीक्षा नहीं कर पाएंगी और ना ही उन्हें खारिज कर पाएंगी।

इसके अलावा संसद में बहुमत के जरिए अदालत के फैसले को बदला जा सकता है। ऐसे में नेतन्याहू चाहें तो अदालत के फैसले को संसद में अपने पक्ष में कर सकते हैं।

नए कानून के मुताबिक उच्चतम न्यायालय समेत सभी अदालतों में सरकार की मंजूरी के बाद ही न्यायाधीशों की नियुक्ति हो सकेगी। मंत्रियों के लिए अटार्नी जनरल की सलाह मानना बाध्यकारी नहीं रह जाएगा।

सरकार की इस योजना को लेकर पिछले दिनों इजराइल में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे।

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