हफ्तेभर लंबे संघर्षविराम के बाद फिर से हमले शुरू हुए हैं जिनका मकसद गाज़ा के हमास शासकों को खत्म करना है। यह युद्ध सात अक्टूबर को हमास द्वारा इज़राइल पर अचानक किए गए हमले के बाद शुरू हुआ था जिसमें हज़ारों फलस्तीनी मारे गए हैं और गाज़ा पट्टी की 23 लाख की आबादी में से तीन चौथाई से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं तथा लोगों के पास कोई सुरक्षित स्थान नहीं रह गया है।
इज़राइल द्वारा सप्ताहांत अपने वार्ताकारों को वापस बुलाए जाने के बाद एक और अस्थायी संघर्षविराम की उम्मीदें धुंधली हो गई हैं। हालांकि इज़राइल का सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका उस पर बड़े पैमाने पर लोगों को और विस्थापित नहीं करने तथा आम लोगों को नहीं मारने का दबाव बढ़ा रहा है और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की क्षेत्र की यात्रा के दौरान यह संदेश रेखांकित किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका फलस्तीनियों को गाज़ा या कब्जे वाले वेस्ट बैंक से जबरन स्थानांतरित करने या गाज़ा की सीमाओं को फिर से खींचने की अनुमति नहीं देगा।
वहीं, फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को संघर्षविराम के खत्म होने के बाद सैकड़ों आम लोगों की मौत हो चुकी है जिससे बातचीत की मेज़ पर फिर से लौटने का दबाव बढ़ रहा है।
इज़राइली हमलों की वजह से गाज़ा का उत्तरी हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है। दक्षिणी हिस्से में पनाह चाह रहे लोगों को भी इन्हीं स्थितियों को गुज़रना पड़ सकता है। इज़राइल और पड़ोसी मिस्र ने किसी भी शरणार्थी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
लोगों का कहना है कि उन्होंने रातभर खान यूनिस और इसके पास के इलाकों में हवाई हमलों और बम विस्फोटों की आवाज़ सुनी तथा इसके बाद सोमवार को सेना ने पर्चे गिराकर लोगों से मिस्र की सीमा की ओर दक्षिण में जाने का कहा।
सोशल मीडिया पर सोमवार तड़के अरबी में किए गए पोस्ट में सेना ने खान यूनिस के आसपास के करीब दो दर्जन इलाकों को खाली करने का फिर से निर्देश दिया है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)