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ईरान ने यह कदम 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के एक वर्ष पूरा होने के कुछ वक्त बाद उठाया है. महसा अमीनी को इस्लामिक परिधान परंपरा का पालन नहीं करने के आरोप में ‘मोरैलिटी पुलिस’ ने हिरासत में लिया था. बाद में अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. घटना के विरोध में देश में कई महीनों तक प्रदर्शन हुए थे और सत्ता विरोधी स्वर भी तेज हुए थे. यह भी पढ़ें: Hindu-Canadians Alerted: कनाडाई सांसद चन्द्र आर्य ने हिंदूफोबिया पर की बात, कहा- हिंदू और सिख समुदायों को विभाजित करने की कोशिश- Video
हिजाब को लेकर पारित इस विधेयक में हिजाब नहीं लगाने पर महिलाओं पर भारी जुर्माने के अलावा उन कारोबारियों को भी दंड देने का प्रावधान है जो हिजाब नहीं पहनीं महिलाओं को सामान बेचते हैं या अन्य प्रकार की सेवाएं देते हैं. इस विधेयक के खिलाफ लामबंद होने पर अधिकार कार्यकर्ताओं को भी दंडित किए जाने की प्रावधान है.
दोषियों को इन अपराधों के लिए दस वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है. ईरान की 290 सदस्यीय संसद में 152 सांसद इसके पक्ष में थे. इस विधेयक को अब अंतिम मंजूरी के लिए ‘गार्डियन काउंसिल’ के पास भेजा जाएगा. यह मौलवियों की एक इकाई है जो संवैधानिक निगरानीकर्ता के तौर पर काम करती है.
अमीनी की मौत के बाद 16 सितंबर 2022 से देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। प्रदर्शनकारियों पर सरकार ने कड़ी कार्रवाई की जिससे इस वर्ष की शुरुआत में जाकर प्रदर्शनों पर काबू पाया जा सका. सरकार की कार्रवाई में 500 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए और 22,000 से अधिक को हिरासत में लिया गया.
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