नयी दिल्ली, 17 मई: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित बीमा घोटाला मामले में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के तत्कालीन सहयोगी के परिसरों तथा दिल्ली और राजस्थान में 11 अन्य ठिकानों पर बुधवार को तलाशी ली. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सीबीआई की टीम ने मलिक के पूर्व सहयोगी सौनक बाली,चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय नारंग, वीरेंद्र सिंह राणा और कवंर सिंह राणा,प्रियंका चौधरी तथा अनीता से जुड़े दिल्ली और राजस्थान के ठिकानों पर तलाशी ली. यह भी पढ़ें: Insurance Scam Case: सत्यपाल मलिक के तत्कालीन सहयोगी के परिसरों पर CBI की तलाशी
एजेंसी से मिली अद्यतन जानकरी के अनुसार दिल्ली में दस स्थानों तथा राजस्थान में दो जिलों में तलाशी की कार्रवाई हुई. एजेंसी ने गत 28 अप्रैल को मलिक से पूछताछ की थी और आज यह कार्रवाई हो रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में वित्तीय दस्तावेजों के आकलन, डिजिटल साक्ष्य तथा आरोपियों और अन्य लोगों के बयानों को देखते हुए तलाशी अभियान जरूरी हो गया था. एजेंसी ने गत वर्ष अक्टूबर में मलिक के बयान भी दर्ज किए थे.
सीबीआई ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना का ठेका देने और जम्मू कश्मीर में कीरू जलविद्युत परियोजना से जुड़े 2,200 करोड़ रुपये के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के मलिक के आरोपों के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की थी. मलिक ने दावा किया था कि जब वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे, उस दौरान उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. वह 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे थे.
एजेंसी ने जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए चिकित्सा बीमा योजना से संबंधित अपनी प्राथमिकी में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है। कथित तौर पर योजना को 31 अगस्त, 2018 को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में मलिक द्वारा मंजूरी दी गई थी। बाद में यह योजना रद्द कर दी गई.
एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अज्ञात लोक सेवकों और अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश और मिलीभगत से जम्मू कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग करके आपराधिक कदाचार किया.
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने ‘‘2017 से 2018 की अवधि के दौरान खुद को आर्थिक लाभ और राज्य के खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया और इस तरह, जम्मू कश्मीर की सरकार को धोखा दिया.’’ कीरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित कार्य के ठेके देने में कथित गड़बड़ी के बारे में दूसरी प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया कि ई-निविदा से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया.
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