नयी दिल्ली, 20 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल अधिकारियों को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में एक दोषी को चिकित्सा जांच के लिये तीन दिन के भीतर आईएलबीएस अस्पताल ले जाने के लिये कहा है। उसे यकृत और गुर्दे का प्रतिरोपण कराना है।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और विशेष जांच दल को भी दोषी नरेश सहरावत की याचिका पर 25 मई तक स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिये कहा है। सहरावत ने याचिका में चिकित्सा आधार पर अपनी सजा तीन महीने के लिये निलंबित करने की अपील की है।
अदालत ने दंगा मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सहरावत की याचिका पर यह निर्देश दिया है, जिसने अपने यकृत और गुर्दे के प्रतिरोपण के लिये तीन महीने की मोहलत मांगी है।
अदालत ने कहा, ''जेल अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता (सहरावत) को अगले तीन दिन में जांच और इलाज के लिये आईएलबीएस अस्पताल ले जाया जाएगा। प्रतिवादी (अधिकारियों) को भी 25 मई या उससे पहले स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जाता है।''
इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 26 मई तक स्थगित कर दी । गृह मंत्रालय ने दंगा मामलों की फिर से जांच के लिये एक विशेष जांच दल का गठन किया था।
निचली अदालत ने 1984 के दंगों के दौरान नयी दिल्ली में दो लोगों की हत्या से संबंधित मामले में यशपाल सिंह को मृत्युदंड और नरेश सहरावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एसआईटी द्वारा फिर से जांच शुरू करने के बाद इन मामलों में यह पहली सजा थी।
सहरावत ने भी अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जो कि अभी लंबित है। इसी तरह सिंह ने भी अपनी मौत की सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जो कि अभी लंबित है।
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