नयी दिल्ली, 12 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी)-चार के कड़े प्रतिबंधों में ढील देकर इसे दूसरे चरण तक लाने संबंधी निर्देश अगले आदेश तक जारी रहेगा।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने केंद्र से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) में नियुक्ति के लिए पर्यावरण, कृषि एवं अन्य संबंधित क्षेत्रों के शीर्ष विशेषज्ञों की पहचान करने पर विचार करने के लिये कहा, जो सलाहकार के रूप में शामिल हो सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने पीठ को बताया कि उसने जनवरी तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन वह सालभर प्रतिबंध लागू करने पर विचार कर रही है, जिसे जल्द ही अधिसूचित किया जायेगा।
इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने एनसीआर राज्यों को सालभर पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के अपने फैसले रिकॉर्ड में लाने का निर्देश दिया और कहा कि यह न केवल वायु प्रदूषण बल्कि ध्वनि प्रदूषण पर भी अंकुश लगाने के लिए आवश्यक है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि पटाखों पर प्रतिबंध में पटाखों की बिक्री, निर्माण, भंडारण और इस्तेमाल शामिल होगा।
उच्चतम न्यायालय दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश देने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
पीठ ने सीएक्यूएम को सड़कों की मशीनों से सफाई, नियंत्रित यातायात, धूल का उचित ढंग से निपटान और अन्य उपायों जैसे अतिरिक्त कदमों को चरण 2 में शामिल करने की अनुमति दी, जो पहले जीआरएपी के चरण-3 में शामिल थे।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह नहीं चाहता कि कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश सीएक्यूएम में हो, चाहे वह सलाहकार की हैसियत में ही क्यों न हो, क्योंकि इससे हितों का टकराव हो सकता है और यह अदालत आयोग के काम की निगरानी कर रही है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सीएक्यूएम में विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष विशेषज्ञ शामिल हों। हम नहीं चाहते कि कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश वहां मौजूद हो।’’ पीठ ने कहा कि केंद्र और अन्य पक्ष अगली सुनवाई तक कुछ नाम सुझा सकते हैं।
पीठ ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया कि वे निर्माण श्रमिकों को गुजारा भत्ते का भुगतान सुनिश्चित करें, जो 18 नवंबर से पांच दिसंबर तक वायु प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए प्रतिबंधों के कार्यान्वयन के कारण प्रभावित हुए हैं।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि 90,000 श्रमिकों को 8,000 रुपये प्रति श्रमिक का भुगतान किया गया है और अतिरिक्त पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें अब तक 20,000 से अधिक निर्माण श्रमिक आगे आ चुके हैं।
पीठ ने दिल्ली और एनसीआर राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में उन निर्माण श्रमिकों की सही संख्या का पता लगाएं, जो प्रदूषण से निपटने के वास्ते लगाये गये प्रतिबंधों के कारण अपनी आय से वंचित हो गए हैं और तीन जनवरी, 2025 को अनुपालन हलफनामा दायर करें।
पीठ ने दिल्ली और एनसीआर राज्य सरकारों की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम इस अनुपालन की निगरानी तब तक करते रहेंगे जब तक हम संतुष्ट नहीं हो जाते कि प्रत्येक पात्र कर्मचारी को गुजारा भत्ता का भुगतान कर दिया गया है।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि 19 दिसंबर को वह सीएक्यूएम द्वारा सुझाए गए मुद्दों के अलावा पटाखों पर प्रतिबंध, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और खुले में कचरा जलाने से संबंधित उपायों के कार्यान्वयन पर विभिन्न मुद्दों पर सुनवाई के लिए समय-सीमा और कार्यक्रम तय करने पर विचार करेगी।
उच्चतम न्यायालय ने पांच दिसंबर को, दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में सुधार के साथ सीएक्यूएम को कड़े जीआरएपी-4 प्रतिबंधों को चरण दो तक लाने की अनुमति दी थी।
इसने हालांकि सीएक्यूएम को चरण-2 प्रतिबंधों में जीआरएपी के चरण तीन के कुछ अतिरिक्त उपायों को शामिल करने का सुझाव दिया था।
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