नयी दिल्ली, 23 दिसंबर : कोविड-19 संक्रमण से उबरने के महीनों बाद भी कई मरीजों के मस्तिष्क को पहुंची क्षति और उसमें आई सूजन बरकरार पायी गई जबकि इसका पता लगाने के लिए किए गए रक्त परीक्षण के परिणाम सामान्य आए. एक नवीनतम अध्ययन में यह दावा किया गया है. ब्रिटेन स्थित विश्वविद्यालयों के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमण के सबसे अहम चरण में जब लक्षण तेजी से विकसित होते हैं तब प्रमुख सूजन संबंधी प्रोटीन और मस्तिष्क में जख्म के निशान उत्पन्न होते हैं.
अनुसंधानकर्ताओं ने इंग्लैंड और वेल्स के 800 से अधिक अस्पताल में भर्ती मरीजों के नमूनों का विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है. अनुसंधानकर्ताओं ने ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ नामक जर्नल में प्रकाशित अपने अध्ययन में कहा कि आश्चर्य की बात है कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के महीनों बाद भी कोविड-19 के कारण मस्तिष्क को पहुंची क्षति के मजबूत जैव निशान बने रहते हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि जैव निशान (बायोमार्कर) साक्ष्य गंभीर बीमारी के दौरान तंत्रिका तंत्र के ठीक से नहीं काम करने (न्यूरोलॉजिकल डिसफंक्शन) का अनुभव करने वाले रोगियों में अधिक प्रमुखता से देखा गया और यह जटिलताएं स्वास्थ्य लाभ के दौरान भी बनी रही. यह भी पढ़ें : ‘जो खिलाड़ी होगा, वो जाकर अखाड़े में प्रैक्टिस कर रहा है, जिसको राजनीति करना है वो जाकर राजनीति करे’, पहलवानों के विरोध पर बोले WFI चीफ संजय सिंह
लिवरपूल विश्वविद्यालय के संक्रमण तंत्रिका विज्ञान प्रयोगशाला के प्रधान अन्वेषक और निदेशक बेनेडिक्ट माइकल ने कहा, ‘‘हालांकि कुछ तंत्रिका संबंधी ‘लक्षण’ जैसे कि सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द (मियाल्जिया) अकसर हल्के होते थे. यह स्पष्ट हो गया कि अधिक महत्वपूर्ण और संभावित रूप से जीवन बदलने वाली नयी तंत्रिका तंत्र संबंधी ‘जटिलताएं’ उत्पन्न हो रही थीं, जिनमें एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), दौरे और स्ट्रोक शामिल थे.” माइकल ने कहा कि इस अध्ययन से मस्तिष्क में आई सूजन और उसे पहुंची क्षति के बरकरार रहने की संभावना की जानकारी मिलती है जिसका पता रक्त परीक्षण से नहीं लगाया जा सकता है