नयी दिल्ली, 17 अप्रैल भारतीय उद्योग जगत का मानना है कि रिजर्व बैंक द्वारा रिवर्स रेपो दर में कटौती और 50,000 करोड़ रुपये की पुनर्वित सुविधा उपलब्ध कराने से कंपनियों को कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए वित्तीय दबाव से उबरने में मदद मिलेगी। उद्योग जगत ने शुक्रवार को कहा कि इससे प्रणाली में अधिक नकदी उपलब्ध होगी और बैंकों पर अधिक कर्ज देने का दबाव बनेगा।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस कदम से विशेष रूप से दबाव वाले क्षेत्रों को नकदी उपलब्ध हो सकेगी। यह एक सराहनीय कदम है।
उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि नियामकीय जरूरतों में ढील से बैंकों को कोविड-19 के प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी। फिक्की ने कहा कि अतिरिक्त कार्यशील पूंजी के लिए कर्ज अनिवार्य किए जाए और इसे बैंकों के विवेक पर निर्भर नहीं छोड़ा जाए।
मुथूट पप्पाचन के संस्थापक निदेशक थॉमस मुथूट ने कहा कि टीएलटीआरओ 2.0 के तहत 50 प्रतिशत कोष मध्यम आकार की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी में गैर परिवर्तनीय डिबेंचरों में करने, नाबार्ड, सिडबी और राष्ट्रीय आवास बैंक जैसे अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के लिए पुनर्वित की सुविधा और रिवर्स रेपो दर में कटौती जैसे कदमों से हममें मौजूदा संकट से सबसे अधिक प्रभावित आम लोगों को अधिक कर्ज उपलब्ध कराने की सुविधा मिलेगी।
एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम ने रिजर्व बैंक के ताजा उपायों को ‘जीवनरक्षक खुराक’ बताया है। एसोचैम ने कहा कि लॉकडाउन को आंशिक रूप से खोलने, नियामकीय ढील, प्रणाली में अतिरिक्त नकदी डालने और बैंकों को अधिक कर्ज देने के लिए दबाव बनाने जैसे कदमों से कॉरपोरेट जगत और कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को मदद मिल सकेगी।
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक ने इस चुनौती के मद्देनजर जैसी जरूरत है उसके मुताबिक अपनाया है। यह केंद्रीय बैंक के साहस और जिम्मेदारी का दर्शाता है। इस स्वास्थ्य संकट दो साल में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 9,000 अरब डॉलर का झटका लगने की आशंका है।’’
सूद ने कहा कि रिजर्व बैंक के इन उपायों से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आवास वित्त कंपनियों, छोटे कारोबारियों को मदद मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का आगे जोखिम कम होगा।
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