नयी दिल्ली, चार अगस्त केंद्र ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि उसने पेरिस समझौते के तहत भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को मंजूरी दी है और इस बारे में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यूएनएफसीसीसी) को सूचित किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन को सूचना दिए जाने के लिए एनडीसी को बुधवार को मंजूरी दी थी।
बुधवार को जारी सरकारी बयान में कहा गया कि अद्यतन एनडीसी के अनुसार, भारत अब 2030 तक 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति की स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इस घटनाक्रम के बाबत जानकारी दी गई। याचिका में यूएनएफसीसीसी के दौरान भारत द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि कैबिनेट बुधवार को अद्यतन एनडीसी को मंजूरी दे चुकी है।
केंद्र की दलील के बाद पीठ ने याचिकाकर्ता वकील रोहित मदन को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
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