नयी दिल्ली, एक सितंबर भारत का इस साल की पहली छमाही यानी जनवरी-जून 2024 के दौरान अमेरिका और नीदरलैंड सहित 151 देशों के साथ व्यापार अधिशेष में था। दूसरी ओर देश को चीन और रूस सहित 75 देशों के साथ व्यापार घाटा का सामना करना पड़ा।
शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह जानकारी दी और कहा कि भारत को कच्चे तेल और कोयले के आयात से होने वाले व्यापार घाटे के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
जीटीआरआई ने साथ ही कहा कि देश को औद्योगिक वस्तुओं के आयात को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। यह खासकर चीन जैसे देशों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत की आर्थिक संप्रभुता को खतरा पहुंच सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ''जनवरी से जून 2024 के बीच, भारत का 151 देशों के साथ व्यापार अधिशेष था, जो इसके निर्यात का 55.8 प्रतिशत और आयात का 16.5 प्रतिशत था।''
इस साल जनवरी-जून के दौरान सबसे अधिक अधिशेष अमेरिका (21 अरब अमेरिकी डॉलर) और नीदरलैंड (11.6 अरब डॉलर) के साथ रहा।
दूसरी ओर भारत का 75 देशों के साथ व्यापार घाटा था, जो इसके निर्यात का 44.2 प्रतिशत और आयात का 83.5 प्रतिशत था। इसके चलते 185.4 अरब अमेरिकी डॉलर का घाटा हुआ।
इस स्थिति से विशिष्ट आयातों पर निर्भरता को कम करने और घरेलू उत्पादन को मजबूत करने की जरूरत पता चलती है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत जिन देशों से मुख्य रूप से सोना, चांदी और हीरा का आयात करता है, उन्हें लेकर भी सजग रहना चाहिए, क्योंकि बजट में इन पर शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया गया है।
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