नयी दिल्ली, 15 जुलाई भारतीय फुटबॉल टीम के लगातार दूसरी बार एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं लेने की संभावना है क्योंकि यह खेल मंत्रालय के महाद्वीप में शीर्ष आठ रैंकिंग में रहने के मानदंड को पूरा नहीं करती है।
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने पहले योजना बनायी थी कि राष्ट्रीय सीनियर टीम के मुख्य कोच इगोर स्टिमक थाईलैंड में (सात से 10 सितंबर तक) होने वाले किंग्स कप के बाद चीन के हांगझोउ में 23 सितंबर से आठ अक्टूबर तक होने वाले एशियाई खेलों में अंडर-23 टीम को ले जायेंगे।
वर्ष 2002 के बाद से ही एशियाई खेलों की फुटबॉल स्पर्धा में अंडर-23 खिलाड़ियों को ही भेजा जाता है जिसमें इससे ऊपर की उम्र के तीन खिलाड़ियेां को टीम में शामिल करने की अनुमति भी है।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को भेजे गये एक पत्र में खेल मंत्रालय ने कहा है कि, ‘‘प्रत्येक टीम स्पर्धा के लिए केवल उन्हीं खेलों में जिनमें टीम ने पिछले एक साल में एशिया में भाग लेने वाले देशों में शीर्ष आठ तक की रैंकिंग हासिल की हो, उन्हीं को ही एशियाई खेलों में हिस्सेदारी दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिए। ’’
भारत एशियाई रैंकिंग में शीर्ष आठ के कहीं भी करीब नहीं है। एशियाई फुटबॉल परिसंघ के अंतर्गत रैंकिंग में भारतीय टीम इस समय 18वें स्थान पर है।
एआईएफएफ ने कहा कि वह खेल मंत्रालय से इस फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील करेगा।
एआईएफएफ महासचिव शाजी प्रभाकरण ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह सरकार द्वारा लिया गया फैसला है। इसलिये हमें इसका पालन करना होगा। लेकिन हम सरकार से अपील करेंगे कि जहां तक फुटबॉल का संबंध है तो वे इस फैसले पर दोबारा विचार करें। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय टीम का इस साल का प्रदर्शन काफी प्रेरणादायी रहा है। यह फुटबॉल के लिये काफी मनोबल बढ़ाने वाला होगा, विशेषकर अंडर-23 फुटबॉलरों के लिए, अगर उन्हें एशियाई खेलों में खेलने का मौका मिलेगा। ’’
आईओए ने 2018 एशियाई खेलों के लिए भारतीय फुटबॉल टीम को इसी आधार पर मंजूरी देने से इनकार कर दिया क्योंकि यह तब एशिया में शीर्ष आठ रैंकिंग में शामिल नहीं थी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)