मुंबई, 17 अप्रैल भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि अर्थव्यवस्था पर इस समय गहराए निराशा के बादलों के बीच कुछ रोशनी की किरणें भी दिख रही है। उन्होंने कहा कि जैसा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भी अनुमान लगाया है, 2021-22 में घरेलू अर्थव्यवस्था तीव्रगति से उद्धार होगा।
कोरोना वायरस संकट के बीच दास ने कहा कि वृद्धि को आग बढ़ाने के लिए जोखिमों को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक हर संभव नीतिगत उपाय करेगा।
आईएमएफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2021 के दौरान वी-शेप सुधार (गिरने के बाद बहुत जल्द पुन: लाय में आने) की उम्मीद जतायी है। आईएमएफ का अनुमान है कि 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत के आसपास रहेगी और यह कोरोना और नरमी के पूर्व के स्तर पर आने लगेगी।
दास ने कहा कि पिछले तीन हफ्तों के दौरान विनिर्माण और औद्योगिक उत्पादन समेत घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ ही आंकड़े जारी हुए हैं। लेकिन वे आपस में इतने असंबद्ध हैं कि आर्थिक स्थिति का समग्र आकलन करने में समर्थ नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ चारों ओर से घिरते अंधेरे के बीच भी एक उम्मीद की किरण है।’’ अपने 27 मार्च के वक्तव्य का उदाहरण देते हुए दास ने यह बात कही। उन्होंने कहा था कि देश में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में मुश्किलों से जूझने की क्षमता बरकरार है। अनाज और बागवानी क्षेत्र का उत्पादन सर्वकालिक उच्च स्तर पर है और गोदामों में जरूरत से अधिक गेहूं और चावल के भंडार हैं।
उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल तक के आंकड़ों के हिसाब से मानसून पूर्व खरीफ की फसल में बढ़त देखी गयी है। धान की बुवाई में पिछले मौसम के मुकाबले 37 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है। धान खरीफ की प्रमुख पैदावार है। देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, ओडिशा, असम, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बुवाई में आगे रहे हैं।
भारतीय मौसम विभाग ने 15 अप्रैल को अपनी भविष्यवाणी में 2020 के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने का अनुमान जताया है।
दास ने इन संकेतों को ग्रामीण मांग के लिए अच्छा बताया।
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