नयी दिल्ली, आठ जुलाई भारत और चीन की सेनाएं चीनी बलों द्वारा पूर्वी लद्दाख के टकराव बिंदुओं में अस्थायी ढांचे को नष्ट करने और बलों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद इसके क्रियान्वयन की संभवत: संयुक्त पुष्टि करेंगी।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने बुधवार को यह बताया।
उन्होंने बताया कि बलों की वापसी की प्रक्रिया के क्रियान्वयन की पुष्टि हो जाने के बाद दोनों सेनाएं क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आवश्यक तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के मकसद से विस्तृत वार्ता करेंगी।
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में हालात सुधारने के लिए गतिरोध बिंदुओं से बलों की वापसी की जा रही है और क्षेत्र के सभी इलाकों में यथास्थिति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
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दोनों देशों के बीच बनी आपसी सहमति के अनुसार, शांति बहाल करने के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिए जाने तक कोई भी पक्ष टकराव बिंदुओं में गश्त नहीं करेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनाव कम करने के लिए रविवार को ‘‘स्पष्ट और गहराई से बातचीत’’ हुई। चीनी सेना ने सोमवार की सुबह सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की।
चीन ने गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग्स से अपने बलों को पहले ही पीछे हटा दिया है, जबकि गोग्रा में यह प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी हो जाने की उम्मीद है।
सैन्य सूत्रों ने कहा कि जब तक चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पीछे वाले सैन्य अड्डों से अपनी मौजूदगी में कटौती नहीं करता है, तब तक भारतीय सेना आक्रामक रवैया बनाए रखेगी।
दोनों पक्षों ने पांच मई को शुरू हुए गतिरोध के बाद सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए अपने अग्रिम मोर्चों से दूर स्थित पीछे के सैन्य अड्डों पर हजारों अतिरिक्त बलों और टैंकों एवं तोपों समेत हथियारों को लाना शुरू कर दिया है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘अब भरोसे की बात है। हम चौकसी कम नहीं करेंगे।’’
भारत और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर पिछले आठ सप्ताह से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। स्थिति तब और बिगड़ गई थी, जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के जवान वीरगति को प्राप्त हुए।
क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए पिछले कुछ सप्ताह से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई बार वार्ता हो चुकी है। हालांकि रविवार की शाम तक गतिरोध के अंत का कोई संकेत नहीं था।
सूत्रों ने बताया कि डोभाल-वांग की बैठक में सफलता मिली।
दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच गत 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘‘प्राथमिकता’’ के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे।
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया था जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से होनी थी। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच 22 जून को भी बैठक हुई थी जिसमें सभी टकराव बिन्दुओं से पीछे हटने पर पारस्परिक सहमति बनी थी।
हालांकि गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद स्थिति बिगड़ गई। इस घटना के बाद दोनों देशों ने एलएसी से लगते अधिकतर क्षेत्रों में अपनी-अपनी सेनाओं की तैनाती और मजबूत कर दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लद्दाख का अचानक दौरा किया था। वहां उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा था कि विस्तारवाद के दिन अब लद गए हैं। उन्होंने कहा था कि इतिहास गवाह है कि ‘‘विस्तारवादी’’ ताकतें मिट गई हैं।
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