India is world's most Populous Country: दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बना भारत, चीन को भी छोड़ा पीछे
India is world's most Populous Country (Photo Credit: Twitter)

नयी दिल्ली, 19 अप्रैल: संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत की आबादी बढ़कर 142.86 करोड़ हो गई है और वह चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या ‘डैशबोर्ड’ (मंच) के अनुसार, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है.

वैश्विक स्तर पर आबादी के आंकड़े 1950 से एकत्र किए जा रहे हैं और पहली बार भारत सबसे अधिक आबादी वाले देशों की संयुक्त राष्ट्र सूची में शीर्ष पर है. यह भी पढ़ें: Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह मामले में SC का केंद्र और राज्यों को पक्ष बनाने के लिए कहा

संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या संभावना 2022 के अनुसार, 1950 में भारत की जनसंख्या 86.1 करोड़ थी जबकि चीन की जनसंख्या 114.4 करोड़ थी। भारत की आबादी 2050 तक बढ़कर 166.8 करोड़ होने की उम्मीद है, जबकि चीन की जनसंख्या घटकर 131.7 करोड़ हो सकती है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद सबसे धीमी दर से बढ़ रही है, जो 2020 में एक प्रतिशत से कम हो गई है.

विश्व जनसंख्या संभावना 2022 के अनुसार, भारत की आबादी पिछले साल 141.2 करोड़ थी, जबकि चीन की आबादी 142.6 करोड़ थी. रिपोर्ट के अनुसार, 15 नवंबर को वैश्विक आबादी के आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की नयी रिपोर्ट के अनसार, भारत की 25 प्रतिशत जनसंख्या 0-14 (वर्ष) आयु वर्ग की है जबकि 18 प्रतिशत 10 से 19 साल आयु वर्ग, 26 प्रतिशत 10 से 24 आयु वर्ग, 68 प्रतिशत 15 से 64 आयु वर्ग की और सात प्रतिशत आबादी 65 वर्ष से अधिक आयु की है.

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की जनसांख्यिकी एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न है. केरल और पंजाब में बुजुर्ग आबादी अधिक है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में युवा आबादी अधिक है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की भारत की प्रतिनिधि और भूटान की ‘कंट्री डायरेक्ट’ एंड्रिया वोज्नार ने कहा, ‘‘ भारत के 1.4 अरब लोगों को 1.4 अरब अवसरों के रूप में देखा जाना चाहिए. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ देश की 25.4 करोड़ आबादी युवा (15 से 24 वर्ष के आयुवर्ग) है... यह नवाचार, नई सोच और स्थायी समाधान का स्रोत हो सकती है.’’ वोज्नार ने कहा कि सतत भविष्य के लिए लैंगिक समानता, सशक्तीकरण और महिलाओं तथा लड़कियों के लिए अपने शरीर पर उनका अधिकार सुनिश्चित करना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत अधिकारों तथा विकल्पों का सम्मान किया जाना चाहिए और सभी को यह फैसला करने में सक्षम होना चाहिए कि बच्चे कब (यदि हों) और कितने हों. संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी ने कहा, ‘‘ महिलाओं और लड़कियों को यौन तथा प्रजनन संबंधी नीतियों तथा कार्यक्रमों का केंद्र होना चाहिए। सभी लोगों के अधिकारों, विकल्पों और समान मूल्यों का सही मायने में सम्मान करके ही हम भविष्य की अनंत संभावनाओं का रास्ता खोल पाएंगे.’’

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