जरुरी जानकारी | भारत आर्थिक उड़ान की दहलीज पर: आरबीआई बुलेटिन

मुंबई, 21 मार्च भारत सकल मांग और गांवों में गैर-खाद्यान्न वस्तुओं पर खर्च बढ़ने के साथ बहुप्रतीक्षित आर्थिक उड़ान भरने की दहलीज पर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मंगलवार को जारी मई बुलेटिन में यह कहा गया है।

बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए परिदृश्य नाजुक होता जा रहा है। इसका कारण एक तरफ मुद्रास्फीति में में जो गिरावट आ रही थी, वह अब थमती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम फिर से बढ़ रहा है।

इसमें कहा गया है कि पूंजी प्रवाह अस्थिर हो गया है क्योंकि घबराए निवेशक जोखिम लेने से बचने लगे हैं।

यह लेख रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने लिखा है।

लेख में कहा गया है, ‘‘यह उम्मीद बढ़ रही है कि भारत बहुप्रतीक्षित आर्थिक उड़ान की दहलीज पर है। इसका कारण हाल के संकेत है जो कुल मांग की गति में तेजी की ओर इशारा कर रहे हैं।’’

इसमें कहा गया है कि कम से कम दो वर्षों में पहली बार पिछली तिमाही में दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) की गांवों में मांग शहरी बाजारों से आगे निकल गई है।

घरेलू और व्यक्तिगत देखभाल से जुड़े उत्पादों की मजबूत मांग से एफएमसीजी वस्तुओं की मात्रा में वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही। इस वृद्धि को 7.6 प्रतिशत की ग्रामीण वृद्धि से गति मिली। वहीं शहरी क्षेत्रों में वृद्धि 5.7 प्रतिशत थी।

लेख में निजी निवेश के बारे में लिखा गया है कि सूचीबद्ध निजी विनिर्माण कंपनियों ने कमाई का कुछ हिस्सा जो अपने पास रखा, वह 2023-24 की दूसरी छमाही में कोष का प्रमुख स्रोत बना रहा।

सूचीबद्ध कंपनियों के अबतक घोषित वित्तीय परिणाम बताते हैं कि उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना और तिमाही आधार पर राजस्व में जो वृद्धि हासिल की, वह सर्वाधिक थी।

लेख में लिखा गया है कि हेडलाइन (सकल) मुद्रास्फीति में इस साल अप्रैल में मामूली कमी आई। यह हमारी उम्मीदों के अनुरूप है। ईंधन के दाम में नरमी और मुख्य मुद्रास्फीति के नीचे आने तथा ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंचने के बावजूद खाद्य श्रेणी में सब्जियों, अनाज, दाल, मांस और मछली की कीमतें निकट अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति को ऊंची और पांच प्रतिशत के करीब रख सकती हैं। यह अप्रैल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अनुमान के अनुरूप है।

केंद्रीय बैंक ने साफ कहा कि बुलेटिन में लिखी बातें लेखकों के विचार हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

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