जरुरी जानकारी | भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में दुनिया का प्रमुख केंद्र बनने के रास्ते पर: टॉरेंट प्रमुख समीर मेहता

नयी दिल्ली, सात जनवरी टॉरेंट समूह के चेयरमैन और इंडिन फार्मास्युटिकल अलायंस के अध्यक्ष समीर मेहता ने कहा है कि भारत नवोन्मेष के साथ दुनिया में स्वास्थ्य क्षेत्र का प्रमुख केंद्र बनने के रास्ते पर है। इसके साथ देश के औषधि उद्योग का आकार 2030 तक दोगुना से अधिक होकर 120 से 130 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

पिछले 25 साल में, भारतीय औषधि उद्योग लगभग 20 गुना बढ़ा है। वित्त वर्ष 1999-2000 में यह तीन अरब डॉलर का था जो अब 58 अरब डॉलर का हो गया है। यह आज घरेलू बिक्री और निर्यात में समान रूप से योगदान दे रहा है। यह क्षेत्र भारत के व्यापार अधिशेष में शीर्ष पांच योगदानकर्ताओं में से एक है। यह 1999-2000 में केवल एक अरब डॉलर था जो अब बढ़कर 19.5 अरब डॉलर का हो गया है।

मेहता ने आईपीए के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक लेख में लिखा, ‘‘भारतीय औषधि क्षेत्र की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि उद्यमशीलता की भावना के साथ प्रमुख नीतिगत सुधारों ने इस क्षेत्र की वृद्धि को कैसे बढ़ावा दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में देश का औषधि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। इस उद्योग का रोजगार सृजन से लेकर वैश्विक व्यापार और नवोन्मेष से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान होगा। कुल मिलाकर यह ‘विकसित भारत’ के लक्ष्यों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’

मेहता ने लिखा, ‘‘एक सहायक और अनुकूल नीतिगत ढांचा, अनुसंधान एवं विकास में मजबूत निवेश और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच को लेकर प्रतिबद्धता इस क्षेत्र को क्षमता के पूरे उपयोग लिए सशक्त बना सकती है। इस आकांक्षा को प्राप्त करने के लिए फार्मा उद्योग, सहायक क्षेत्रों, नियामकों और शैक्षणिक संस्थानों समेत सभी संबंधित पक्षों के बीच ठोस प्रयास जरूरी है।’’

उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के प्राचीन भारतीय दर्शन को अपनाते हुए, भारत दुनिया का स्वास्थ्य देखभाल का प्रमुख केंद्र बनने के लिए तैयार है।

मेहता ने लिखा है कि उच्च गुणवत्ता, सस्ती जेनेरिक दवाओं और टीकों के उत्पादन में भारत की उत्कृष्टता ने देश को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘नई वैश्विक व्यवस्था में भारत की भूमिका कोविड-19 महामारी के खिलाफ अभियान से अधिक स्पष्ट कभी नहीं रही। देश ने वैश्विक स्तर पर मरीजों के लिए जीवनरक्षक दवाओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित कर इस अवसर पर आगे बढ़कर अपने नेतृत्व की स्थिति को मजबूत किया है।’’

टॉरेंट समूह के चेयरमैन ने कहा कि यह उपलब्धि आकस्मिक नहीं है। बल्कि यह नवोन्मेष के प्रति वर्षों के समर्पण, विनिर्माण में उत्कृष्टता और वैश्विक गुणवत्ता मानकों को लगातार पूरा करने का परिणाम है।

उन्होंने कहा, ‘‘...सही मायने में आज की सफलता अतीत की कड़ी मेहनत पर आधारित है और अब हम जो निर्णय लेंगे वह एक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।’’

मेहता ने कहा कि भारतीय औषधि उद्योग देश की विकास गाथा की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक विनिर्माण शक्ति के रूप में, भारत दुनिया की जेनेरिक दवा की मांग का 20 प्रतिशत पूरा है और मात्रा और मूल्य के मामले में 11वें स्थान पर है।

मेहता ने लिखा, ‘‘आज वैश्विक स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है। यह बदलाव रोग के प्रतिरूप और जनसंख्या उम्र में बदलाव, स्वास्थ्य सेवा का उपभोक्ताकरण और समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान को लेकर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय औषधि उद्योग का 2030 तक 120-130 अरब डॉलर और 2047 तक 400-450 अरब डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य है।”

मेहता ने कहा कि आने वाले दशकों में इस अवसर का लाभ उठाने के लिए मजबूत वित्तपोषण व्यवस्था, नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए प्रतिभा को निखारने और डिजिटल प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।

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