नयी दिल्ली, 27 सितंबर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि आईसीएमआर के दूसरे सीरो सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि भारत की आबादी कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने से दूर है, लिहाजा संक्रमण से निपटने के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करने की जरूरत है।
हर्षवर्धन ने उपासना स्थलों पर भी मास्क लगाने पर जोर दिया।
एक बयान में बताया गया है कि अपने सोशल मीडिया फोलोअर्स के साथ संवाद के दौरान मंत्री ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में पुनः संक्रमण की रिपोर्टों की जांच और शोध कर रहा है। हालांकि इस समय पुनः संक्रमण के मामलों की संख्या नगण्य है। सरकार इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रही है।
उन्होंने कहा कि सीरो सर्वेक्षण की रिपोर्ट से लोगों में संतोष का भाव पैदा नहीं होना चाहिए। मई 2020 में हुए पहले सीरो सर्वेक्षण से पता चलता है कि कि कोरोनो वायरस संक्रमण का देशव्यापी प्रसार केवल 0.73% था।
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हर्षवर्धन ने कहा, "यहां तक कि जल्द ही जारी किए जाने वाले दूसरे सीरो सर्वेक्षण से संकेत मिलते हैं कि हम किसी भी प्रकार की सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने से बहुत दूर हैं और ऐसे में आवश्यक है कि हम सभी को कोविड दिशानिर्देशों के अनुसार उचित व्यवहार का पालन करते रहना चाहिए।"
मंत्री ने यह बात 'रविवार संवाद' के दौरान सोशल मीडिया पर पूछे गए सवाल के जवाब में कही है।
बयान में बताया गया है कि स्वास्थ्य मंत्री ने चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोलने के बारे में आशंकाओं को दूर किया और सैलून (नाई की दुकान) तथा हेयर-स्पा जाते समय उचित प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी।
उन्होंने सभी लोगों से कोविड-19 के बारे में हमेशा जागरूकता फैलाने को कहा।
उन्होंने बताया कि वह खुद अपनी कार को रोककर कोविड-19 निर्देशों का अनुपालन ना करने वाले लोगों से मास्क लगाने को कहते हैं।
हर्षवर्धन ने "दो गज की दूरी और थोड़ी समझदारी, पड़ेगी कोरोना पे भारी" नारा देते हुए कहा "महामारी का मुकाबला तभी किया जा सकता है जब सरकार और समाज मिलकर काम करें।"
रेमेडेसिविर और प्लाज्मा थैरेपी जैसे उपचारों के व्यापक उपयोग के बारे में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने उनके तर्कसंगत उपयोग के संबंध में नियमित सलाह जारी की है। निजी अस्पतालों को भी इन उपचारों के नियमित उपयोग के खिलाफ सलाह दी गई है।
उन्होंने कहा कि सबूतों के आधार पर यह परिणाम सामने आया है कि यह बीमारी न केवल हमारे फेफड़ों को प्रभावित करती है, बल्कि अन्य अंगों, विशेष रूप से हृदय और गुर्दे को भी प्रभावित करती है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय कोविड-19 के इन पहलुओं की जांच करने के लिए पहले ही विशेषज्ञों की समितियों का गठन कर चुका है। आईसीएमआर भी इस विषय पर अध्ययन कर रहा है।
बयान के मुताबिक, हर्षवर्धन ने कहा कि राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 की जांच की कीमतें कम करने की सलाह दी गई है। महामारी के शुरुआती दिनों में जांच किटों के आयात के कारण कोविड-19 नमूनों की जांच की कीमत अधिक थीं। लेकिन अब, परीक्षण किटों की आपूर्ति भी स्थिर हो गई है और इन किटों का घरेलू उत्पादन भी शुरू हो गया है।
आत्मनिर्भर भारत योजना’ से जुड़े एक सवाल पर, हर्षवर्धन ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए सामान्य बुनियादी ढांचे के उत्पादन और प्रोत्साहन के लिए भारत की दोतरफा रणनीति पर बात की।
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