संयुक्त राष्ट्र, 26 अक्टूबर भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस) एजेंडे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक के दौरान पाकिस्तान के ‘‘शरारती उकसावे’’ और ‘‘राजनीतिक दुष्प्रचार’’ की आलोचना करते हुए कहा कि देश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदू, सिख और ईसाई महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने शुक्रवार को यूएनएससी में कहा, ‘‘यह निंदनीय है, लेकिन पूरी तरह से अनुमान के अनुरूप है कि एक प्रतिनिधिमंडल ने गलत और भ्रामक सूचनाएं फैलाने की अपनी आजमाई हुई रणनीति के आधार पर शरारती उकसावे को हवा देने का विकल्प चुना है।’’
हरीश ने ‘‘बदलते परिवेश में शांति स्थापित करने वाली महिलाएं’’ विषय पर यूएनएससी में आयोजित खुली बहस में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को फिर से उठाए जाने पर हरीश ने जोरदार जवाब देते हुए कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण वार्षिक बहस में इस तरह के राजनीतिक दुष्प्रचार में लिप्त होना पूरी तरह से गलत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अच्छी तरह जानते हैं कि उस देश (पाकिस्तान) में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदू, सिख और ईसाई महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है।’’
हरीश ने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित एक हजार महिलाएं हर साल ‘‘अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह’’ का शिकार होती हैं। खैर, मैं और भी बातें कर सकता हूं, लेकिन मैं यहीं समाप्त करूंगा।’’
इस दौरान भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस) एजेंडे के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई।
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