चीन को छोड़कर भारत इलेक्ट्रॉनिक सामान US, सिंगापुर और ताइवान से कर सकता है आयात- वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
वर्ष 2014 से 2020 के दौरान स्थानीय तौर पर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उत्पादन संचयी रूप से 20.6 प्रतिशत बढ़ा और बाजार को देखते हुए यह तेजी से बढ़ सकता है. इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का स्थानीय स्तर पर उत्पादन 2019-20 में बढ़कर 5.33 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो 2013-14 में 1.73 लाख करोड़ रुपये था.
मुंबई: सरकार अगर वाकई में चीन (China) से आयात पर लगाम लगाना चाहती है, वह इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के लिये सिंगापुर, मलेशिया, ताइवान और अमेरिका जैसे दूसरे बाजारों से सामान ले सकती है. मुंबई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ने सोमवार को यह कहा. उसने आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर कहा कि फिलहाल चीन सबसे बड़ा आपूर्ति बाजार है. चीन से आयातित होने वाले 90 प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रॉनिक सामान में ‘इंटीग्रेटेड सर्किट’ और टेलीविजन सेट है. देश में गैर-तेल आयात में चीन की हिस्सेदारी करीब 14 प्रतिशत है.
भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव और पिछले सप्ताह हिंसक झड़प के बीच वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है। हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये. यह भी पढ़े: जम्मू कश्मीर: शोपियां एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने अब तक 5 आतंकियों को किया ढेर, ऑपरेशन जारी
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (डब्ल्यूटीसी) के आंकड़े के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में भारत चीनी आपूर्तिकर्ताओं पर काफी हद तक निर्भर है. चीन से आयात होने वाले कुल सामान में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत है. वह हमारे कुल इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के आयात का 40 प्रतिशत पूरा करता है. इन वस्तुओं में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक हार्डवेर, मोबाइल फोन, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सामान, एलईडी आदि शामिल हैं.
डब्ल्यूटीसी ने कहा, ‘‘अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के दौरान कुल 3.59 लाख करोड़ रुपये मूल्य का इलेक्ट्रॉनिक सामान आयात किया है. इसमें चीन की हिस्सेदारी 1.42 लाख करोड़ रुपये रहा.’’ उसने कहा, ‘‘हम इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेटेड सर्किट में उपयोग होने वाले 98 प्रतिशत हिस्से पुर्जे का आयात चीन से करते हैं. इसी प्रकार रंगीन टीवी के मामले में हमारी निर्भरता चीन पर 93 प्रतिशत है.’’
हालांकि मोबाइल फोन का आयात 2019-20 में घटा है. लेकिन कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी बढ़ी है. वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-फरवरी के दौरान सेल फोन का आयात 6,313 करोड़ रुपये रहा जो 2018-19 के 11,304 करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग आधा है. इसका कारण घरेलू विनिर्माण में बढ़ोतरी और हैंडसेट पर आयात शुल्क में वृद्धि है.
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें अपने आयात के स्रोत को विविध रूप से देने की जरूरत है. यह तबतक के लिये होना चाहिए जबतक देश में इलेक्ट्रॉनिक सामानों का उत्पादन जोर नहीं पकड़ता है. चीन ने माना, लद्दाख में भारतीय जवानों से झड़प में गई PLA जवानों की जान
वर्ष 2014 से 2020 के दौरान स्थानीय तौर पर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उत्पादन संचयी रूप से 20.6 प्रतिशत बढ़ा और बाजार को देखते हुए यह तेजी से बढ़ सकता है. इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का स्थानीय स्तर पर उत्पादन 2019-20 में बढ़कर 5.33 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो 2013-14 में 1.73 लाख करोड़ रुपये था.
इन इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामाधन, औद्योगिक इलक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर हार्डवेयर, मोबाइल फोन आदि शामिल हैं. डब्ल्यूटीसी ने कहा, ‘‘जबतक घरेलू उत्पादन नहीं बढ़ता है हम चीन के बजाए दूसरे देशों से इलेक्ट्रॉनिक सामान आयात कर सकते हैं. हम इंटीग्रेटेड सर्किट, रंगीन टीवी सिंगापुर, अमेरिका, मलेशिया और जापान से ले सकते हैं. दूरसंचार उपकरण सिंगापुर, ताइवान, जर्मनी, इस्राइल और जापान से तथा ‘नॉन -ऑटोमेटिक’वोल्टेज रेगुलेटर तथा स्टैबलाइजर सिंगापुर, अमेरिका, इटली और डेनमार्क से लिया जा सकता है.’’
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