नयी दिल्ली, 16 मई कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लाग लॉकडाउन को अब करीब दो माह होने जा रहे हैं। इस दौरान दिल्ली के गैर-प्रवासी श्रमिकों की औसत साप्ताहिक आय में करीब 57 प्रतिशत की गिरावट आई है। अमेरिकी और कनाडा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक संयुक्त में यह निष्कर्ष निकला है।
इस अध्ययन में 1,392 गैर-प्रवासी श्रमिकों के आंकड़े लिए गए हैं। इनमें से बड़ी संख्या में श्रमिक दिल्ली की बस्तियों में रहते हैं। ये आंकड़े 2018, 2019 और लॉकडाउन के दौरान 27 मार्च से 13 मई के बीच लिए गए।
मई के पहले सप्ताह तक दस में से नौ श्रमिकों ने कहा कि उनकी मासिक आमदनी अब शून्य रह गइर्द्य है। यह अध्ययन शिकॉगो विश्वविद्यालय और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्याल ने संयुक्त रूप से किया है।
अध्ययन से पता चलता है कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद गैर-प्रवासी मजदूरों की औसत साप्ताहिक आमदनी में 57 प्रतिशत की गिरावट आई है। राष्ट्रव्यापी बंद के प्रभाव का आकलन करने के लिए संबंधित मजदूरों के बंद से पहले और बाद कीर आर्थिक स्थिति और व्यवहार में आए बदलाव की तुलना की गई है।
अध्ययन में कहा गया है कि लॉकडाउन से पहले इन श्रमिकों की औसत साप्ताहिक आय 39.46 डॉलर या 2,994 रुपये थी। पहले दौर में यह घटकर 24.10 डॉलर या 1,828.64 रुपये पर आ गई। दूसरे दौर में औसत आय घटकर 5.43 डॉलर या 412 रुपये रह गई। पहले दौर का अध्ययन 27 मार्च से 19 अप्रैल तथा दूसरे दौर का 25 अप्रैल से 13 मई तक किया गया।
अध्ययन में कहा गया है कि बंद के कई और नकारात्मक प्रभाव भी सामने आए है। इससे श्रमिकों को मानसिक और भावनात्मक समस्याएं पदैा हुई। खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में चुनौतियों की वजह से उन्हें ऊंची कीमतों में कम सामान की समस्या का भी सामना करना पड़ा। इसके अलावा उनकी बचत का स्तर भी काफी नीचे आ गया।
अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 के बाद मास्क का इस्तेमाल वायु प्रदूषण वाले सीजन के 20 प्रतिशत से 90 प्रतिशत पर पहुंच गया। घर पर रहने का समय 44 प्रतिशत से 95 प्रतिशत हो गया। नियमित रूप से हाथ धोना 88 से 98 प्रतिशत हो गया।
शिकॉगो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान के भारत में कार्यकारी निदेशक और अध्ययन के प्रमुख लेखक केन ली ने कहा कि दिल्ली में गैर-प्रवासी मजदूरों के लिए लॉकडाउन का काफी बुरा असर रहा। हालांकि, इसके साथ ही उनके रहन-सहन के तरीके में भी बदलाव आया। लोगों ने मास्क पहनना और घर में रहना शुरू कर दिया और लोगों से मिलना-जुलना कम कर दिया। उन्होंने नियमित रूप से हाथ धोना शुरू कर दिया। यहां तक कि धूम्रपान में भी कमी आई।
अजय
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