जरुरी जानकारी | सरसों की कम आवक से सरसों तेल-तिलहन में सुधार

नयी दिल्ली, तीन अगस्त मंडियों में सरसों के साथ कुछ अन्य तिलहनों के आवक घटने तथा आगामी त्योहारों की मांग को देखते हुए देश के तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन में मामूली सुधार दिखा। कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों के भाव में विगत शुक्रवार को लगभग 10 डॉलर का सुधार होने से इनके तेलों के दाम में भी सुधार दिखा। दूसरी ओर डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्ववत रहे वहीं बढ़ते सस्ते आयात और कमजोर मांग के बीच सोयाबीन तेल के दाम में मामूली गिरावट दर्ज हुई।

सूत्रों ने कहा कि बिनौले का कारोबार लगभग खत्म ही हो चला है जिससे इसके भाव पूर्वस्तर पर रहे। ऊंचे दाम पर कारोबार प्रभावित रहने से मूंगफली तेल तिलहन के भाव भी पूर्वस्तर पर बने रहे। डीओसी की कमजोर मांग से सोयाबीन तिलहन भी पूर्वस्तर पर बंद हुआ। सस्ते आयातित तेलों (सॉफ्ट आयल) के जरुरत से अधिक आयात और मांग कमजोर रहने के बीच सोयाबीन तेल के दाम में मामूली गिरावट देखी गई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में आज आवक कम हुई। सोयाबीन तिलहन की आवक पहले के लगभग 1.60 लाख बोरी के मुकाबले आज घटकर लगभग 1.40 लाख बोरी रह गई। इसी प्रकार, सरसों की आवक पहले के लगभग 2.75 लाख बोरी के मुकाबले आज घटकर लगभग 2.60 लाख बोरी रह गई। इसके अलावा जिस कच्चा पामतेल (सीपीओ) का दाम सोयाबीन से 100 डॉलर के अंतर से बिक रहा था वह अंतर घटकर अब 10-15 डॉलर का रह गया है। यानी सीपीओ प्रसंस्करण के बाद पामोलीन का दाम सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के थोक दाम के आसपास आ जायेगा।

सूत्रों ने कहा कि कांडला बंदरगाह पर लगभग 2.5 लाख टन खाद्यतेलों से लदे जहाज पिछले लगभग नौ दिन से खड़े हैं और उन को खाली करने में दिक्कत आ रही है। खाद्यतेलों के प्रमुख संगठन, साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने इन दिक्कतों को देखते हुए सरकार से खाद्यतेलों को खाली करने के लिए और लगह (बर्थ) बनाने की मांग की है।

सूत्रों ने कहा कि देशी तेल तिलहनों के खपने की मुश्किल बढ़ सकती है क्योंकि आयातित खाद्यतेलों के सस्ते दाम के आगे यह टिक नहीं पा रहे हैं। आयातित खाद्यतेलों के केवल थोक दाम ही सस्ते हुए हैं लेकिन खुदरा बाजार में दाम मजबूत बने हुए हैं और उपभोक्ताओं को राहत नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि देश का तेल तिलहन उद्योग की हालत बुरी है और सरकार को समय रहते कोई रास्ता ढूंढ़ना होगा ताकि देशी तेल तिलहन उद्योग जीवित रह सके।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,900-5,950 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,450-6,725 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,325-2,625 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,875-1,975 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,875-2,000 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,180 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,780 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,480 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,450-4,470 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,260-4,385 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,125 रुपये प्रति क्विंटल।

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