
नयी दिल्ली, नौ फरवरी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने चेतावनी दी है कि मध्य प्रदेश में मोरंड-गंजाल सिंचाई परियोजना के कारण बाघों द्वारा अभयारण्यों के बीच आवागमन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वन क्षेत्र जलमग्न हो जाएंगे।
एनटीसीए ने वैकल्पिक स्थलों की खोज करने की अनुशंसा की है।
पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (एफएसी) ने 27 जनवरी को एक बैठक में परियोजना के लिए 2,250.05 हेक्टेयर वन भूमि के दूसरे कार्यों में इस्तेमाल से संबंधित प्रस्ताव पर चर्चा की।
इस परियोजना में राज्य के होशंगाबाद, बैतूल, हरदा और खंडवा जिलों में सिंचाई में सुधार के लिए मोरंड और गंजाल नदियों पर दो बांध बनाना शामिल है।
बैठक के विवरण के अनुसार, एनटीसीए ने चेतावनी दी है कि इस परियोजना से सतपुड़ा और मेलघाट बाघ अभयारण्यों के बीच एक महत्वपूर्ण बाघ गलियारा खत्म हो जाएगा और अन्य वन्यजीवों व जैव विविधता के लिए खतरा पैदा होगा।
राष्ट्रीय बाघ अनुमान 2022 पर आधारित एनटीसीए के विश्लेषण से पता चलता है कि परियोजना स्थल में बाघों का एक महत्वपूर्ण वास शामिल है। इसमें कहा गया है कि बांध के कारण अभयारण्यों के बीच बाघों की आवाजाही के लिए आवश्यक वन क्षेत्र जलमग्न हो जाएंगे, जिससे "आनुवांशिक परिवर्तन और जनसंख्या स्थिरता" प्रभावित होगी।
एनटीसीए ने कहा, "इस भूभाग में बाघों की आबादी और विभिन्न वन्यजीवों पर दीर्घकालिक रूप से हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।"
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