नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने छात्रों और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली दोनों के हितों की रक्षा के लिए नीट-पीजी 2024 की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू किए जाने के संबंध में मंगलवार को सरकार से अंतरिम उपायों पर विचार करने का आग्रह किया।
आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा को पत्र लिखकर उनका ध्यान राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) 2024 की काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी को लेकर बढ़ती चिंताओं और अनिश्चितता की ओर आकर्षित किया है, जो वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में लंबित एक मामले के कारण रुकी हुई है।
डॉक्टरों के संगठन ने कहा, ‘‘काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी से देश भर में हजारों नीट-पीजी उम्मीदवारों को भारी परेशानी हो रही है।’’ आईएमए ने पत्र में कहा कि स्नातकोत्तर चिकित्सा सीटों को लेकर अर्हता प्राप्त करने के लिए अथक परिश्रम करने वाले ये उम्मीदवार न्यायिक कार्यवाही के कारण अपने भविष्य को लेकर लंबे समय से अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।
इसका असर स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के कामकाज पर भी पड़ रहा है, क्योंकि अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्नातकोत्तर छात्रों का समय पर प्रवेश अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पत्र में कहा गया है, ‘‘हम न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी स्पष्टता की आवश्यकता का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन आईएमए का मानना है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए हस्तक्षेप करना और संभावित समाधान तलाशना जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के शैक्षणिक और पेशेवर भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।’’
लंबे समय तक देरी से शैक्षणिक कैलेंडर में महत्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, जिससे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों के समग्र प्रशिक्षण और तैनाती पर असर पड़ सकता है, वह भी ऐसे समय में जब स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पहले से ही दबाव में है।
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