ताजा खबरें | पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश हो जाए तो दिल्ली को ‘क्लाउड सीडिंग’ की जरूरत नहीं : सरकार

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर सर्दियों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण होने वाली बारिश के कारण वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ‘क्लाउड सीडिंग’ (कृत्रिम वर्षा) की जरूरत नहीं होती।

केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बुधवार को यह जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कृत्रिम वर्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों के संभावित प्रतिकूल प्रभावों पर विशेषज्ञों की चिंता को भी उजागर किया।

सिंह ने बताया कि उनके मंत्रालय को 30 अगस्त से 19 नवंबर के बीच दिल्ली सरकार से चार पत्र मिले, जिनमें सर्दियों के दौरान दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपातकालीन उपाय के रूप में ‘क्लाउड सीडिंग’ पर विचार करने के लिए कहा गया।

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कृत्रिम वर्षा की व्यवहार्यता के बारे में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से विशेषज्ञों की राय मांगी गई थी।

विशेषज्ञों का हवाला देते हुए सिंह ने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में सर्दियों में बादल मुख्य रूप से पश्चिमी विक्षोभ के कारण बनते हैं, जो अल्पकालिक होते हैं और पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते हैं। जब पश्चिमी विक्षोभ के कारण निचले बादल बनते हैं, तो वे आमतौर पर उत्तर-पश्चिम भारत में प्राकृतिक वर्षा का कारण बनते हैं, जिससे क्लाउड सीडिंग की आवश्यकता नहीं होती।’’

सिंह के अनुसार, विशेषज्ञों ने मंत्रालय को बताया कि उच्च ऊंचाई वाले बादल, जो आमतौर पर 5-6 किमी से अधिक ऊंचाई पर होते हैं, विमान सीमाओं के कारण बरसाए नहीं जा सकते हैं।

सिंह के मुताबिक, प्रभावी ‘क्लाउड सीडिंग’ के लिए विशिष्ट स्थितियों की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर दिल्ली के ठंडे और शुष्क सर्दियों के महीनों के दौरान नहीं होती हैं।

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