तोक्यो, 3 सितंबर: निशानेबाज (shooter) अवनि लेखरा (Avani Lakhera) पैरालंपिक (Paralympic) के एक ही चरण में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने के बावजूद संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है कि वह मौजूदा खेलों में इससे बेहतर प्रदर्शन कर सकती थीं लेकिन वह दबाव में आ गयीं.खेलों में पदार्पण करने वाली 19 साल की लेखरा 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग (Air rifle standing) एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. यह भारत का निशानेबाजी में भी पहला ही पदक था. उन्होंने शुक्रवार (Friday) को यहां तोक्यो खेलों (Tokyo Game) की 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन एसएच1 स्पर्धा का कांस्य पदक हासिल किया.वह इस तरह दो पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला और खेलों के एक ही चरण में कई पदक जीतने वाली देश की दूसरी खिलाड़ी बनीं. यह भी पढे: Avani Lekhara Wins Bronze: अवनि लेखरा ने टोक्यो पैरालिंपिक रचा इतिहास, गोल्ड के बाद जीता ब्रॉन्ज मेडल
उन्होंने प्रसारक यूरोस्पोर्ट और भारतीय पैरालंपिक समिति द्वारा करायी गयी वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘जब मैंने स्वर्ण पदक जीता तो मैं सिर्फ स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं थी (हंसती हैं), मैं उस अंतिम शॉट को बेहतर करना चाहती थी. इसलिये यह कांस्य पदक निश्चित रूप से संतोषजनक नहीं है. ’’उन्होंने कहा, ‘‘फाइनल्स का आपके ऊपर यही असर होता है, आप नर्वस हो जाते हो. ’’उन्होंने रविवार को होने वाली मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन स्पर्धा का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैं जश्न नहीं मना रही क्योंकि मेरा ध्यान अगले मैच पर लगा है. मेरा लक्ष्य अपनी अगली स्पर्धा में भी शत प्रतिशत देने का है. ’’
लेखरा ने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की प्रशंसा दोहराते हुए कहा कि वह हमेशा उनकी तरह बनना चाहती थीं. शुक्रवार को बल्कि उन्होंने अपना दूसरा पदक जीतकर उनसे बेहतर प्रदर्शन किया.लेखरा ने कहा, ‘‘जब मैंने अभिनव बिंद्रा सर की आत्मकथा पढ़ी थी तो मुझे इससे प्रेरणा मिली थी क्योंकि उन्होंने अपना शत प्रतिशत देकर भारत के लिये पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था. ’’उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमेशा उनकी (बिंद्रा की) तरह बनना चाहती थी और हमेशा अपने देश का नाम रोशन करना चाहती थी. ’’
लेखरा ने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि मैं देश के लिये एक और पदक जीत सकी और मैं अभी तक इस पर विश्वास नहीं कर पा रही. ’’उन्होंने कहा, ‘‘मुझे स्टैंडिंग में सर्वश्रेष्ठ देना था. और मुझे लगा कि हर कोई ऐसा ही महसूस कर रहा था इसलिये मैंने दूसरों के बारे में सोचे बिना अपना सर्वश्रेष्ठ किया. ’’लेखरा ने कहा, ‘‘मैंने कभी भी बैठकर पदक नहीं जीता था, यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय पदक है इसलिये मैं ज्यादा नर्वस थी. लेकिन मुझे अपने शॉट पर ध्यान लगाना था. इसलिये पिछले मैच में मैं एक बार में एक शॉट पर ध्यान लगा रही थी और यह हो गया. ’’उन्होंने अपने सभी कोच विशेषकर पूर्व ओलंपियन निशानेबाज सुमा शिरूर को शुक्रिया कहा. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बहुत ही अच्छी टीम है, मेरे कोच, जेपी नौटियाल सर, सुभाष राणा सर, सुमा (शिरूर) मैम, मेरा सहयोगी स्टाफ और टीम के सभी सदस्य और सभी अन्य एथलीट का शुक्रिया. ’’
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