देश की खबरें | देश के 440 जिलों के भूजल में नाइट्रेट का उच्च स्तर स्वास्थ्य के लिए खतरा: रिपोर्ट

नयी दिल्ली, दो जनवरी भारत के 440 जिलों के भूजल में ‘नाइट्रेट’ उच्च स्तर पर पाया गया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने एक ‘रिपोर्ट’ में यह जानकारी देते हुए बताया कि एकत्र किए गए नमूनों में से 20 प्रतिशत में ‘नाइट्रेट’ की सांद्रता अनुमेय सीमा से अधिक है।

‘नाइट्रेट’ संदूषण पर्यावरण और स्वास्थ्य के मद्देनजर गंभीर चिंता का विषय है, खास कर उन क्षेत्रों में जहां ‘नाइट्रोजन’ आधारित उर्वरकों एवं पशु अपशिष्ट का उपयोग किया जाता है।

‘वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट - 2024’ से यह भी पता चला कि 9.04 प्रतिशत नमूनों में ‘फ्लोराइड’ का स्तर भी सुरक्षित सीमा से अधिक था, जबकि 3.55 प्रतिशत नमूनों में ‘आर्सेनिक’ संदूषण पाया गया।

मई 2023 में भूजल की गुणवत्ता की जांच के लिए देश भर में कुल 15,259 निगरानी स्थानों को चुना गया। इनमें से 25 प्रतिशत कुओं (बीआईएस 10500 के अनुसार सबसे अधिक जोखिम वाले) का विस्तार से अध्ययन किया गया। पुनर्भरण से गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी लेने के लिए मानसून से पहले और बाद में 4,982 स्थानों से भूजल का नमूना लिया गया।

रिपोर्ट में पाया गया कि जल के 20 प्रतिशत नमूनों में नाइट्रेट की सांद्रता 45 मिलीग्राम प्रति लीटर (एमजी/एल) की सीमा को पार कर गई, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा पेयजल के लिए निर्धारित सीमा है।

राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु में 40 प्रतिशत से अधिक नमूनों में नाइट्रेट सीमा से ऊपर था, जबकि महाराष्ट्र के नमूनों में संदूषण 35.74 प्रतिशत, तेलंगाना में 27.48 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 23.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 22.58 प्रतिशत था।

उत्तर प्रदेश, केरल, झारखंड और बिहार में संदूषण का प्रतिशत कम पाया गया।

अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में सभी नमूने सुरक्षित सीमा के भीतर थे।

सीजीडब्ल्यूबी ने कहा कि, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में ‘नाइट्रेट’ का स्तर 2015 से स्थिर बना हुआ है। हालांकि, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में 2017 से 2023 तक संदूषण में वृद्धि देखी गई है।

उच्च ‘नाइट्रेट’ स्तर शिशुओं में ‘ब्लू बेबी सिंड्रोम’ जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है और यह पानी पीने के लिए असुरक्षित है।

भारत में 15 ऐसे जिले चिन्हित किए गए जहां भूजल में नाइट्रेट उच्च स्तर में पाया गया। इसमें राजस्थान में बाड़मेर, जोधपुर, महाराष्ट्र में वर्धा, बुलढाणा, अमरावती, नांदेड़, बीड, जलगांव और यवतमाल, तेलंगाना में रंगारेड्डी, आदिलाबाद और सिद्दीपेट, तमिलनाडु में विल्लुपुरम, आंध्र प्रदेश में पलनाडु और पंजाब में बठिंडा शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भूजल में नाइट्रेट का बढ़ता स्तर अत्यधिक सिंचाई का परिणाम हो सकता है, जो संभवत: उर्वरकों में मौजूद नाइट्रेट को मिट्टी में गहराई तक पहुंचा सकता है।

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ‘फ्लोराइड’ की अधिक सांद्रता एक बड़ी चिंता का विषय है।

इसमें कहा गया है कि गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के मैदानी इलाकों वाले राज्यों में आर्सेनिक का स्तर अधिक पाया गया है। ये राज्य पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम और मणिपुर हैं। पंजाब के कुछ हिस्सों में और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के पानी में भी आर्सेनिक का स्तर अधिक पाया गया है।

लंबे समय तक फ्लोराइड और आर्सेनिक संदूषकों के संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। फ्लोराइड के संदूषण से फ्लोरोसिस और आर्सेनिक के संदूषण से कैंसर या त्वचा के घाव हो सकते हैं।

भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट में एक बड़ी चिंता कई क्षेत्रों में यूरेनियम का ऊंचा स्तर भी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान के 42 प्रतिशत नमूनों में और पंजाब के 30 प्रतिशत नमूनों में यूरेनियम का संदूषण पाया गया। यूरेनियम के लगातार संपर्क में रहने से गुर्दों को नुकसान हो सकता है।

राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी यूरेनियम का सांद्रण भूजल में अधिक पाया गया है।

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