नयी दिल्ली, 27 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक कैंसर रोगी की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें उसे डॉक्टरों की सलाह के अनुसार कोविड-19 की दूसरी खुराक के रूप में कोवैक्सिन टीका लगाने की अनुमति मांगी गई है। रोगी को पहली खुराक कोविशील्ड टीके की दी गई थी।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किया और अधिकारियों से इसे विशेष मामला मानते हुए याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने कहा, ''वह कैंसर रोगी है और उसकी विशेष जरूरतें हैं। विशेषज्ञों को इसपर विचार करना चाहिये।''
मामले पर अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलुवालिया ने मंत्रालय की ओर से नोटिस को स्वीकार किया।
याचिकाकर्ता मधुर मित्तल ने कहा कि पिछले साल सितंबर में, उन्हें कैंसर (स्टेज फोर रीनल सेल कार्सिनोमा) का पता चला था और उन्हें संक्रमित अंगों, यानी किडनी और लिम्फ नोड को हटाने के लिए तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी गई थी और अक्टूबर 2020 में उनका ऑपरेशन कर संक्रमित अंगों को हटा दिया गया।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता नितेश जैन ने कहा कि इस साल 13 मार्च को, उन्हें कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक मिली और इसके तुरंत बाद, उन्हें गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ा, जिसके चलते वह चार दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को कैंसर के इलाज के लिए मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर न्यूयॉर्क, अमेरिका से जांच कराने की सलाह दी गई है और उन्होंने अपाइंटमेंट के लिए संस्थान से संपर्क किया।
अधिवक्ता संजय एस छाबड़ा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि मित्तल कोविड -19 टीकों की दोनों खुराक एक साथ टीका लेना चाहते थे। डॉक्टर की सलाह और कोविशील्ड टीका लगवाने से पैदा हुईं जटिलताओं को देखते हुए वह कोवैक्सिन को दूसरी खुराक के रूप में लेना चाहते हैं।
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