देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के मामले बढ़ने के बावजूद नियमों में ढील पर आप सरकार की खिंचाई की
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 11 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के बावजूद लोगों की आवाजाही और एक जगह एकत्र होने के नियमों में ढील को लेकर बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की खिंचाई की। इस दौरान अदालत ने कहा कि कोई भी घर इससे बचा नहीं है और सरकार से पूछा कि क्या इस ‘भयानक’ स्थिति से निपटने के लिए उसके पास कोई रणनीति या नीति है।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने कहा कि गत दो सप्ताह में दिल्ली ने कोविड-19 के रोजाना सामने आने वाले मरीजों के मामले में महाराष्ट्र और केरल को पीछे छोड़ दिया है, ऐसे में संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए आप सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।

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अदालत ने रेखांकित किया कि 10 नवंबर को दिल्ली में कोविड-19 के 8,593 नए मामले सामने आए और संक्रमितों की संख्या बढ़ ही रही है, शहर में निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 4,016 हो गई है।

अदालत ने कहा कि पिछले दो-तीन हफ्ते से शहर में चिंताजनक रूप से संक्रमितों की संख्या बढ़ी है और ‘खतरे की घंटी बज चुकी है’ व दिल्ली सरकार को इससे निपटने के लिए कुछ करना चाहिए।

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पीठ ने रेखांकित किया कि नवीनतम सीरो सर्वेक्षण के मुताबिक 25 प्रतिशत लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से बनने वाली एंटीबॉडी पाई गई जो संकेत देता है कि प्रत्येक चार लोगों में से एक व्यक्ति वायरस से संक्रमित हुआ।

सीरो सर्वेक्षण का संदर्भ देते हुए अदालत ने कहा, ‘‘कोई भी घर बचा नहीं है।’’

अदालत ने पूछा कि दिल्ली सरकार ऐसी स्थिति में नियमों में ढील दे रही है जब अन्य राज्य पाबंदियों को दोबारा लागू कर रहे हैं।

अदालत ने 200 लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने और सार्वजनिक परिवहन को पूरी क्षमता से चलाने की अनुमति के पीछे के तर्क पर सवाल किया।

पीठ ने कहा कि इससे संक्रमण का प्रसार तेजी से हो सकता है जबकि पहले ही शहर पर संक्रमण का भारी दबाव है।

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि आपका कोई नियंत्रण नहीं है या नियंत्रण की कमी है।’’

पीठ ने पूछा कि कौन निगरानी करेगा कि सार्वजनिक कार्यक्रम में 200 की सीमा में ही लोग शामिल हुए हैं और वे सामाजिक दूरी का अनुपालन कर रहे हैं।

अदालत ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता सत्यकाम से जानना चाहा कि वह (सरकार) मास्क पहनने को सुनिश्चित करने के लिए क्यों नहीं कोई कानून ला रही जिसे वास्तविक टीका आने तक प्रभावी सुरक्षा उपाय करार दिया जा रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘हालात परामर्श से आगे बढ़ गए हैं।’’

अदालत ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए गंभीर है तो उसे कानून के जरिये प्रतिबंधों को लागू करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी मास्क पहने।’’

पीठ ने दिल्ली सरकार को दो सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश कर उसके द्वारा संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए उठाए कदमों को बताने को कहा, खासतौर पर तब जब कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 19 नवंबर को करेगी।

उच्च न्यायालय अधिवक्ता राकेश मल्होत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की जांच बढ़ाने और तेज गति से रिपोर्ट सुनिश्चित करने के लिए सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

मामले की सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने कहा कि लग रहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 हर घर में प्रवेश कर गया है और वह इस जनहित याचिका का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है ताकि देखा जा सके कि क्या दिल्ली सरकार ने बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए कोई रणनीति बनाई है या नहीं।

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