मुंबई, पांच सितंबर महाराष्ट्र में आठ सितंबर से शुरू हो रही स्नातक चिकित्सा छात्रों की अंतिम वर्ष की परीक्षा भौतिक रूप से कराए जाने पर बंबई उच्च न्यायालय ने शनिवार को रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति ए ए सैयद और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की एक खंडपीठ महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचसी) के विभिन्न वर्गों के नौ स्नातक छाज्ञों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में एमयूएचसी द्वारा 21 अगस्त को जारी उस परिपत्र को चुनौती दी गई थी जो अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा भौतिक रूप से कराने से संबंधित था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हमारे विचार में याचिकाकर्ता आखिरी समय में अदालत के समक्ष पहुंचे हैं। इसलिये, हम परीक्षा पर स्थगन के रूप में कोई अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं।”
पीठ ने इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय द्वारा 17 अगस्त को दिये गए आदेश का भी जिक्र किया जिसके तहत उसने नीट और जेईई-मेन्स की परीक्षाओं को टालने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि यद्यपि महामारी की स्थिति है लेकिन जिंदगी चलती रहेगी और छात्रों के करियर को लंबे समय तक संकट में नहीं डाला जा सकता।
अदालत ने इस याचिका पर आगे की सुनवाई के लिये 17 सितंबर की तारीख तय की है।
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