मुंबई, आठ दिसंबर बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए संपूर्ण बजटीय आवंटन जारी नहीं करने या खर्च नहीं करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की और कहा कि वह स्वास्थ्य प्रणाली पर रखकर धनराशि का इस्तेमाल नहीं कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि बजटीय आवंटन खर्च करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, अतीत में पूरी राशि जारी नहीं करने और जारी राशि का उपयोग नहीं करने के क्या कारण हैं।
अदालत कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर जिलों के सरकारी अस्पतालों में मौत के कई मामलों पर चिंता जताते हुए स्वत: संज्ञान लेकर दायर की गई याचिका भी शामिल है।
महाधिवक्ता बीरेंद्र सर्राफ ने पीठ को सूचित किया कि पहले के आदेशों के अनुसार, सरकार ने अब महाराष्ट्र औषधि खरीद प्राधिकरण के लिए एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त कर दिया है, और दवाओं तथा उपकरणों की खरीद के लिए निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद और भरोसा है कि इन वस्तुओं की खरीद की प्रक्रिया अब तेज होगी।
मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने पूछा “हमने देखा है कि आवंटित और स्वीकृत बजट पूरी तरह से जारी नहीं किया गया है, और जो भी राशि जारी की गई है वह खर्च नहीं की गई है। इसके पीछे क्या कारण है?”
अदालत ने कहा, “यह नयी सरकारी प्रवृत्ति प्रतीत होती है। लेकिन अंतिम पीड़ित कौन है? हमें उम्मीद है और विश्वास है कि बजट को संपूर्ण रूप से खर्च करने के लिए कदम उठाए जाएंगे अन्यथा देखभाल प्रणाली को ताक में रखकर बजट बेकार होने दिया जाएगा।”
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