जरुरी जानकारी | आवक बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन में भारी गिरावट

नयी दिल्ली, 16 सितंबर मंडियों में मूंगफली की आवक बढ़ने से देश के तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में भारी गिरावट दर्ज हुई।

इसके अलावा ऊंचे भाव पर मांग कमजोर होने से सरसों तेल-तिलहन और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के कारण सोयाबीन तिलहन कीमतों में भी गिरावट आई। लिवाल की कमी के बीच सोयाबीन तेल, मलेशिया एक्सचेंज के बंद होने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज आज बंद है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट चल रही है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि के बाद कुछ हल्कों में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने को लेकर चिंता जताई जा रही थी लेकिन वास्तविकता में ऊंचे दाम पर लिवाल नदारद होने के कारण सरसों और मूंगफली जैसे देशी तेल-तिलहन के थोक दाम टूटे हैं। यह अलग बात है कि मूंगफली तेल 115-135 रुपये लीटर के थोक दाम पर बिक रहा है और खुदरा में इस तेल का दाम 200-220 रुपये लीटर है। समस्या थोक दाम की नहीं बल्कि खुदरा में दाम में भारी वृद्धि को लेकर होनी चाहिये जिसके बारे में ना कोई जांच-पड़ताल है, ना ही कोई सवाल कर रहा है। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

सूत्रों ने कहा कि गुजरात में इस बार मूंगफली की अच्छी पैदावार है और आवकें बाजार में बढ़ रही हैं। लेकिन यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 7-8 प्रतिशत नीचे बिक रहा है और इसके बावजूद इसके लिवाल नहीं हैं। एक तो इसके दाम सस्ते आयातित तेलों के थोक दाम से काफी अधिक हैं दूसरा आयात शुल्क में वृद्धि का सरसों और मूंगफली तेल पर कोई असर देखने को नहीं मिला है। 15 दिन के बाद मंडियों में मूंगफली की आवक का दबाव और बढ़ेगा और उसकी खोज खबर कौन लेगा, यह एक गंभीर प्रश्न है क्योंकि तब इसके एमएसपी से और कम दाम पर बिकने की उम्मीद है। मूंगफली के ‘ए’ ग्रेड तेल की कीमत 135 रुपये लीटर और उससे कम गुणवत्ता वाले खाद्य योग्य मूंगफली तेल की कीमत 115 रुपये लीटर है लेकिन खुदरा में इन तेलों का दाम 200-220 रुपये लीटर चल रहा है।

इस महंगाई को रोकने के लिए या तो इसे राशन की दुकानों से बंटवाना होगा, या फिर किसी पोर्टल पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की नियमित घोषणा करवाने की व्यवस्था करनी होगी। थोक दाम के मुकाबले इतना अधिक दाम खुदरा में क्यों हो रहा है और कौन इसके लिए जिम्मेदार हैं इसकी छानबीन जरूरी है।

सूत्रों ने कहा कि किसी खाद्य तेल का दाम 200 रुपये लीटर हो और कुछेक दिन बाद उसके दाम घटकर 85 रुपये लीटर रह जायें और फिर कुछ दिनों के बाद उस खाद्य तेल के दाम 120 रुपये लीटर हो जाये तो इस तेल को महंगा माना जायेगा? इस नजरिये से भी तेल-तिलहन बाजार को देखने की जरुरत है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 6,500-6,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,275-6,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,260-2,560 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,085-2,185 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,085-2,200 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,100 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,200 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,850-4,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,625-4,760 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,225 रुपये प्रति क्विंटल।

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