उत्तर प्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत में गर्मी जानलेवा साबित होती जा रही है. हीटवेव की वजह से यूपी, बिहार, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में अब तक सैकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं.भारत में भीषण गर्मी और लू की वजह से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और अस्पतालों में हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है. राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में यह स्थिति देखी जा सकती है.
उत्तर प्रदेश में पिछले पांच-छह दिनों के भीतर अलग-अलग जगहों पर करीब 371 लोगों की मौत हो चुकी है. दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों का भी हाल यही है. जानकार चेता रहे हैं कि प्रकृति और पर्यावरण की लगातार हो रही उपेक्षा और बढ़ते ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण चरम मौसम से जुड़ी ऐसी घटनाएं भविष्य में और आम हो जाएंगी.
लू और गर्मी से बड़ी संख्या में बेघर लोगों की मौत
दिल्ली में पिछले दो दिनों के भीतर 50 से ज्यादा लावारिस शव मिले हैं. गर्मी और लू को इन मौतों की वजह माना जा रहा है. हालांकि, ज्यादातर मामलों में आधिकारिक रूप से यही कहा जा रहा है कि पोस्टमॉर्टम के बाद मौत की असली वजह पता चलेगी, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि मौतों के पीछे मुख्य वजह लू और गर्मी ही है. बेघर लोगों के लिए काम करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन 'सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट' ने दावा किया है कि 11 से 19 जून के बीच दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत हुई.
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वहीं, उत्तर प्रदेश के कई शहरों में स्थिति भयावह हो चुकी है. 18 जून को तो एक दिन में ही 170 लोगों की मौत हीट स्ट्रोक से हो गई. प्रदेश के कई जिलों में पारा 47-48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका था. 19 जून की देर शाम आंधी के बाद हल्की बूंदा-बांदी से गर्मी से राहत जरूर मिली है, लेकिन हीट स्ट्रोक की मार झेल रहे लोग अभी भी यूपी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं.
हीट स्ट्रोक के मामले जून के महीने में काफी ज्यादा बढ़ गए हैं. अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें हैं. अस्पतालों में बिस्तरों की सीमित संख्या के कारण सिर्फ उन्हीं रोगियों को भर्ती किया जा रहा है, जिनकी हालत ज्यादा गंभीर है. जिन मरीजों की हालत थोड़ी-बहुत स्थिर दिख रही है, उन्हें दवा देकर घर भेज दिया जा रहा है.
अस्पतालों में काफी गंभीर स्थिति
लू और भीषण गर्मी के कारण स्थिति यह है कि कोई चलते-चलते रास्ते में ही गिर जा रहा है, तो कोई बीच सफर में दम तोड़ दे रहा है. यहां तक कि ड्राइवर और कंडक्टर समेत बसों के कई कर्मचारियों की भी हीट स्ट्रोक के चलते मृत्यु हो चुकी है. परिवहन निगम के तीन संविदा ड्राइवर और एक कंडक्टर की भी मौत की सूचना है. इस वजह से दोपहर में बसों के संचालन में भी कमी आई है. मौतों का सर्वाधिक आंकड़ा गाजियाबाद में है, जहां 18 जून को 30 मौतें हुईं और 19 जून को 14 लोगों की मौत हुई.
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मौतों की बढ़ती संख्या के बीच शवदाह गृहों और पोस्टमॉर्टम गृहों (मॉर्चरी) में भी काफी संख्या में शव दिख रहे हैं. नोएडा-गाजियाबाद से लेकर प्रयागराज तक में ऐसी स्थिति देखी जा सकती है. प्रयागराज में स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, 18 जून को एसआरएन अस्पताल की मोर्चरी में दो डीप फ्रीजर भर जाने के बाद शवों को हॉल में ही एक के ऊपर एक रख दिया गया था.
दिन भर में 36 शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया, जबकि 50 शव बिना पोस्टमॉर्टम के ही रह गए. डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर शवों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हार्टअटैक बताया गया है. नोएडा सेक्टर-94 के पोस्टमॉर्टम हाउस की भी स्थिति लगभग ऐसी ही है.
बुजुर्गों की ही नहीं, युवाओं की भी मौत
यहां तक कि शवदाह गृहों और कब्रिस्तानों में भी लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. शवदाह गृहों में बड़ी संख्या में शव वैसे ही जलते दिख रहे हैं, जैसे कि कोविड की दूसरी लहर में दिख रहे थे. दिल्ली के अलग-अलग शवदाह गृहों और कब्रिस्तानों में 19 जून को 200 से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए लाए गए.
अमर उजाला अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जून को प्रयागराज शहर के अलग-अलग शवदाह गृहों में इतने ज्यादा शव आ गए कि रास्ता तक जाम हो गया. अखबार के मुताबिक, यहां के चार प्रमुख श्मशान घाटों पर 24 घंटे के भीतर 400 से ज्यादा शवों के अंतिम संस्कार हुए हैं. अखबार लिखता है कि मृतकों में बुजुर्ग और अधेड़ उम्र के साथ-साथ युवाओं की भी खासी तादाद है.
लखनऊ में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. पिछले सात साल से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराने वाली समाज सेविका वर्षा वर्मा कहती हैं, "पिछले करीब एक महीने से लावारिस शवों की संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है. इसके अलावा पहचान वाले शव अलग हैं, जिनकी हमें जानकारी नहीं है. हालांकि हम यह नहीं कह सकते कि सारी मौतें हीट स्ट्रोक से ही हुई हैं, लेकिन यह जरूर है कि हीट स्ट्रोक मौतों की संख्या बढ़ने का एक बड़ा कारण है."
वर्षा वर्मा आगे बताती हैं, "संख्या बढ़ने के कारण लावारिस शवों को जलाने में भी दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि इन्हें इलेक्ट्रिक मशीनों से ही जलाया जाता है. लखनऊ में सिर्फ चार ही मशीनें हैं, जिनमें एक-दो तो अक्सर खराब ही रहती हैं. एक शव को जलाने में 45 मिनट तक का समय लगता है. इसलिए जब ज्यादा लावारिस शव आ जाते हैं, तो अंतिम संस्कार में भी समय ज्यादा लगता है."
लोगों से सावधानी बरतने की अपील
सरकार की तरफ से बार-बार लोगों से अपील की जा रही है कि गर्मी से बचाव के लिए शरीर ढककर ही घरों से बाहर निकलें और ज्यादा-से-ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि भीषण गर्मी और लू को देखते हुए आम जन, मवेशी और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए हर स्तर पर इंतजाम किए जाएं.
सार्वजनिक जगहों, बाजारों, मुख्य मार्गों पर पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं. साथ ही, मुख्यमंत्री ने अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में लू से प्रभावित लोगों का तत्काल इलाज किए जाने का भी निर्देश दिया है.