नयी दिल्ली, सात जनवरी पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायताप्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य घोषित करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय 15 जनवरी को सुनवाई करेगा।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई शुरू होते ही कहा कि उसके सामने दो विकल्प हैं - तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की फिर से सुनवाई करे या इसे दो न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जो 19 दिसंबर से अंतिम दलीलें सुन रही है। मामले में पिछली सुनवाई उसी दिन हुई थी।
वकीलों की दलीलों पर गौर करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मामले की सुनवाई 15 जनवरी को दोपहर 2 बजे दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा की जाएगी। उस पीठ में प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति कुमार होंगे।
शीर्ष अदालत में राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका सहित कुल 124 याचिकाएं लंबित हैं।
पीठ ने इससे पहले कई प्रक्रियात्मक निर्देश जारी किए थे और चार वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया था। पीठ ने उन्हें विभिन्न पक्षों के वकीलों से विवरण प्राप्त करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक रूप में एक साझा विवरण दाखिल करने को कहा था।
पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश आस्था शर्मा, शालिनी कौल, पार्थ चटर्जी और शेखर कुमार को नोडल वकील नियुक्त किया है।
पिछले साल सात मई को, सर्वोच्च अदालत ने पश्चिम बंगाल के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बड़ी राहत दी थी, जिनकी सेवाओं को नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं के आधार पर उच्च न्यायालय ने अमान्य घोषित कर दिया था।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी और कहा कि यदि आवश्यक हो तो वह राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की भी जांच कर सकती है।
शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसे शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी जिनकी नियुक्तियां उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दी गई थीं, उन्हें वेतन और अन्य भत्ते वापस करने होंगे यदि वह इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि उनकी भर्ती अवैध थी।
शीर्ष अदालत ने कथित भर्ती घोटाले को ‘‘सुनियोजित धोखाधड़ी’’ भी कहा।
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