प्रयागराज, 12 सितंबर : न्यायिक कार्य से अधिवक्ताओं के अनुपस्थित रहने की वजह से मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ज्ञानवापी मामले में सुनवाई नहीं हो सकी. इस मामले में ना तो याचिकाकर्ता और ना नहीं बचाव पक्ष की ओर से कोई वकील अदालत में पेश हुआ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार से ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई की व्यवस्था शुरू की है. मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर की अदालत ने वकीलों की हड़ताल की वजह से ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई की अनुमति दी है, लेकिन किसी वकील के पेश नहीं होने की वजह से अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 18 सितंबर तय की है.
वाराणसी की अदालत में दायर वाद की पोषणीयता को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। मूल वाद में उस जगह पर मंदिर बहाल करने की मांग की गई है जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है. अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का 2021 में एक अधिवक्ता की अध्यक्षता वाले आयोग द्वारा सर्वेक्षण करने के वाराणसी की अदालत के निर्देश को भी चुनौती दी गई है. इससे पूर्व, 28 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश दिवाकर की अदालत में जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई थी, तो अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इस बात का उल्लेख किया था कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
इसलिए उस पीठ द्वारा निर्णय दिया जाना चाहिए। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि उच्च न्यायालय के नियमों के मुताबिक, जब किसी मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद भी निर्णय नहीं दिया जाता है तो मुख्य न्यायाधीश के पास उस मामले को किसी अन्य पीठ के पास भेजने या स्वयं उस पर सुनवाई करने का अधिकार होता है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 15 मार्च 2021 से इस मामले में कई बार निर्णय सुरक्षित किया गया है लेकिन फैसला सुनाया नहीं गया है. इस पर, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के वकील ने मामले का नए सिरे से अध्ययन करने के लिए समय दिए जाने और इस मामले में सुनवाई टालने का अनुरोध किया था जिस पर अदालत द्वारा 12 सितंबर की तारीख तय की गई थी.
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