देश की खबरें | नफरत भरे भाषण : चुनाव आयोग को पक्षकार बनाने की शीर्ष अदालत की मंजूरी

नयी दिल्ली, 13 मई उच्चतम न्यायालय ने नफरत भरे भाषण और अफवाह पर नियंत्रण के लिए प्रभावी एवं कठोर कदम उठाने तथा इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय कानूनों की पड़ताल करने का केंद्र को निर्देश देने संबंधी याचिका में चुनाव आयोग को पक्षकार बनाने की शुक्रवार को अनुमति दे दी।

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख तय की और याचिकाकर्ता को याचिका की एक-एक प्रति संबंधित पक्षों के वकीलों को उपलब्ध कराने की अनुमति दे दी।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने नफरत भरे भाषण से संबंधित विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने के लिए उचित कदम उठाने का केंद्र को निर्देश देने की मांग की है।

उपाध्याय ने पीठ से आग्रह किया कि वह इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस जारी करे। इस पर पीठ ने पूछा, ‘‘चुनाव आयोग इस मसले से कैसे सम्बद्ध है।’’

उपाध्याय ने कहा कि नफरत भरे भाषण चुनाव अवधि के दौरान आचार संहिता लागू होने के बाद ज्यादा दिये जाते हैं। पीठ ने तब उनसे पूछा कि उन्होंने चुनाव आयोग को पक्षकार तो नहीं बनाया है। इस पर उपाध्याय ने पीठ से आयोग को पक्षकार बनाने और याचिका की एक प्रति सौंपने की अनुमति मांगी।

पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के वकील के अनुरोध पर याचिका के कॉज टाइटल में संशोधन करने की अनुमति दी जाती है, ताकि भारत के निर्वाचन आयोग को प्रतिवादी के तौर पर पक्षकार बनाया जा सके।’’

याचिका में अनुरोध किया है कि नफरत भरे भाषण को लेकर विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट की सिफारिशों के क्रियान्वयन के लिए सरकार से उचित कदम उठाने को कहा जाए।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)