देश की खबरें | हरियाणा की हार से कांग्रेस की उम्मीदों पर लगा ‘ब्रेक’

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर लोकसभा चुनाव के बाद परवान चढ़ीं कांग्रेस की उम्मीदों पर हरियाणा की हार और जम्मू-कश्मीर में निराशाजनक प्रदर्शन ने मंगलवार को ‘ब्रेक’ लगा दिया तथा निकट भविष्य में अपने सहयोगियों के साथ मोलभाव के उसके आधार को भी कमजोर कर दिया।

यह बात दीगर है कि कांग्रेस ने ‘षड़यंत्र’ का आरोप लगाते हुए कि हरियाणा के जनादेश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।

हरियाणा में कांग्रेस की अप्रत्याशित हार उसके रणनीतिकारों के लिए हैरान करने वाली है क्योंकि वे जीत तय मानकर चल रहे थे और आशा कर रहे थे कि हरियाणा में जीत के बाद महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति बेहतर होगी वहीं अपने सहयोगियों के सामने भी उनकी स्थिति पहले से मजबूत हो जाएगी।

हरियाणा में कांग्रेस की हार को महाराष्ट्र और झारखंड में उसकी संभावनाओं के लिए झटका माना जा रहा है, हालांकि पार्टी का कहना है कि किसी एक चुनाव परिणाम की तुलना दूसरे से नहीं की जा सकती।

पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव में आपने देखा कि हरियाणा में हमारा कैसा अच्छा प्रदर्शन रहा। कभी भी किसी एक नतीजे की तुलना दूसरे नतीजे से नहीं करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोई यह सोचता है कि हमारे हाथ से जीत छीन सकता है तो आने वाले चुनावों में उसे जवाब मिलेगा।’’

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि हरियाणा की हार के बाद महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में सहयोगियों के साथ सीटों का तालमेल करने में कांग्रेस की स्थिति अब कमजोर सकती है। इन दोनों राज्यों में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।

हरियाणा में कांग्रेस की हार के मद्देनजर महाराष्ट्र में उसकी सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा के खिलाफ सीधे मुकाबले में देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कमजोर पड़ जाती है।

महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के बीच सीट बंटवारे को लेकर इन दिनों बातचीत जारी है।

शिवसेना (यूबीटी) सीट बंटवारे में अपनी बड़ी भूमिका के साथ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा भी पहले घोषित करने पर जोर दे रही है।

वहीं, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एमवीए के सबसे बड़े घटक के रूप में उभरने के बाद से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे में अपनी बड़ी हिस्सेदारी की उम्मीद लगाए हुए थी।

झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो के साथ तथा उत्तर प्रदेश के विधानसभा उप चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ सीट बंटवारे में भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सकती है।

हरियाणा के नतीजे ने पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी को भी कांग्रेस की एक कमजोर कड़ी के रूप में सामने ला दिया है।

हक

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