देश की खबरें | वर्ष 2020 में जन्मे आधे लोगों को जलवायु की प्रतिकूल स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है: अध्ययन

नयी दिल्ली, नौ मई यदि वैश्विक तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित भी रही, तो भी 2020 में पैदा हुए आधे से अधिक बच्चों को अभूतपूर्व रूप से भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है, जबकि 1960 में पैदा हुए बच्चों में यह आंकड़ा 16 प्रतिशत था। एक नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

दुनियाभर में जनसांख्यिकीय आंकड़े और जलवायु की प्रतिकूल स्थिति के अनुमानों का विश्लेषण करते हुए, शोधकर्ताओं ने 1960 और 2020 के बीच पैदा हुई प्रत्येक पीढ़ी के उस हिस्से की गणना की जो अपने जीवनकाल में भीषण गर्मी का सामना कर सकते हैं।

अध्ययन से जुड़ी टीम ने कहा कि व्यक्ति जितना युवा होगा, उसे उतनी ही अधिक प्रतिकूल जलवायु स्थितियों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें लू, नदी में बाढ़ और सूखा शामिल हैं और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बच्चों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ेगा।

इस अध्ययन के निष्कर्ष ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुए।

बेल्जियम के व्रीजे यूनिवर्सिटी ब्रुसेल्स के जलवायु वैज्ञानिक ल्यूक ग्रांट इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक हैं।

अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘1.5 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर, 2020 में पैदा हुए 52 प्रतिशत लोगों को अपने जीवन में अभूतपूर्व रूप से लू का सामना करना पड़ेगा।’’

ग्रांट ने कहा कि इसके अलावा, 3.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि के परिदृश्य में, ‘‘90 प्रतिशत से अधिक लोगों को जीवनभर इस तरह के खतरे को झेलना पड़ेगा।’’

लेखक ने कहा, ‘‘अन्य जलवायु प्रतिकूल स्थितियों की जांच-पड़ताल के लिए भी यही तस्वीर उभर कर सामने आई है।’’

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