श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के साझा मंच ‘‘गुपकर घोषणापत्र गठबंधन’’ ने रविवार को कश्मीरी पंडित कर्मचारियों से अपील की कि वे घाटी छोड़कर नहीं जाएं. गठबंधन ने कहा कि यह उनका घर है और यहां से उनका जाना ‘‘सभी के लिए पीड़ादायक होगा. उल्लेखनीय है कि समुदाय के सदस्यों की आतंकवादियों द्वारा की गई लक्षित हत्या के बाद समुदाय के लोगों ने उन्हें दूसरे स्थान पर बसाने की मांग की है. गुपकर घोषणा गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से राजभवन में मुलाकात की.
इसके बाद गुपकर घोषणापत्र गठबंधन की ओर यह अपील की गई है. यह बैठक राहुल भट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर हुई. भट की हत्या के बाद समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया था. उप राज्यपाल के साथ बैठक के बाद पांच दलों के गठबंधन के प्रवक्ता एमवाई तारिगामी ने कहा कि घाटी कश्मीरी पंडितों का भी उतना ही घर है जितना कश्मीरी मुस्लिमों का. तारिगामी ने कहा, ‘‘हम उनसे अपील करते हैं कि यह देश आपका भी उतना ही है जितना मेरा. आप अपने घर को छोड़कर नहीं जाएं। यह हमारे और आपके लिए पीड़ादायक होगा. गठबंधन के प्रवक्ता ने कहा कि अगर कश्मीरी पंडित, भट की हत्या के मद्देनजर कश्मीर छोड़ना चाहते हैं तो मारे गए कश्मीरी मुस्लिमों के परिवारों का क्या होगा. यह भी पढ़े: J&K: कश्मीरी पंडित को आतंकियों ने गोली मारी, 24 घंटे के भीतर 4 बाहरी मजदूरों पर किया हमला
उन्होंने कहा, ‘‘अगर राहुल की हत्या हुई तो रियाज (पुलिस कर्मी) भी मारे गए हैं. रियाज का परिवार और रिश्तेदार कहां जाएंगे? आपको (कश्मीरी पंड़ितों को) अपना घर नहीं छोड़ना चाहिए। यह आपका घर है, यह मेरा घर है। हम इस त्रासदी का मिलकर सामना करेंगे और एक दूसरे की रक्षा करेंगे. माकपा नेता ने कहा कि गठबंधन ने कर्मचारियों का स्थानांतरण सुरक्षित जगह करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, हालांकि, उनका स्थानांतरण कश्मीर से बाहर करने की संभावना नहीं है.
तारिगामी ने कहा,‘‘हमने उनसे (कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से जिससे गुपकर घोषणापत्र गठबंधन के नेताओं ने शनिवार को मुलाकात की थी. कहा कि हम उनका जाना बर्दाश्त नहीं कर सकते। उप राज्यपाल भी आज इस पर सहमत थे.
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने सिन्हा से कहा कि कर्मचारियों को उनके कार्यस्थल और जहां वह रह रहे हैं वहां पर पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए. साथ ही उन्हें हरसंभव सहायता मुहैया कराई जाए ताकि वे सुरक्षा के भाव के साथ रह सके. तारिगामी ने कहा, ‘‘हमने उप राज्यपाल से कहा कि उनके लिए दूरदराज के इलाकों में काम करना संभव नहीं है, इसलिए उन्हें उन स्थानों पर तैनात किया जाए जहां पूरी सुरक्षा है। इससे उनमें सुरक्षित होने का भाव उत्पन्न होगा. हमने उप राज्यपाल से सुरक्षित निवास मुहैया कराने की मांग की जिस पर उप राज्यपाल ने सहमति जताई.
उप राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में अब्दुल्ला के अलावा,पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, माकपा नेता तारिगामी, नेशनल कांफ्रेंस सांसद हसनैन मसूदी और अवामी नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह शामिल थे. इस बीच, भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने भी उप राज्यपाल से मुलाकात की जिसका नेतृत्व पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष रविंद्र रैना कर रहे थे.
रैना ने राजभवन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘हमने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों और उत्तर प्रदेश व बिहार के मजदूरों की लक्षित हत्या का मुद्दा उप राज्यपाल के समक्ष उठाया. यह कश्मीर को दर्द देने की पाकिस्तान की शैतानी चाल है। ये हत्याएं गंभीर चिंता का विषय है.
उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीरी पंडितों के सभी मुद्दों के साथ-साथ घाटी में कार्यरत अन्य लोगों के मामलों को भी उप राज्यपाल के समक्ष उठाया. रैना ने कहा, ‘‘हमने इन कर्मचारियों (कश्मीरी पंडित) से समन्वय करने के लिए राजभवन में नोडल अधिकारी की तैनाती करने की मांग की.
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