देश की खबरें | गुजरात राज्यसभा चुनाव: बीटीपी के दो विधायकों ने अपनी मांगों को लेकर मतदान नहीं करने का फैसला किया
जियो

अहमदाबाद, 19 जून गुजरात में राज्यसभा की चार सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान शुरू होने पहले ही भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो विधायकों ने कहा कि वे तब तक मतदान नहीं करेंगे जब तक कि आदिवासियों, प्रवासियों और दलितों के कल्याण को लेकर उन्हें लिखित में आश्वासन नहीं दिया जाता है।

बीटीपी प्रमुख छोटू वसावा और उनके बेटे महेश वसावा का वोट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही काफी अहम है।

यह भी पढ़े | वाराणसी: महिला ने समाचार पोर्टल के पत्रकार और मुख्य संपादक के खिलाफ दर्ज कराई प्राथमिकी.

महेश वसावा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब तक हमें लिखित में आश्वासन नहीं मिलता , तब तक हम मतदान नहीं करेंगे। हम एक स्वतंत्र पार्टी हैं जो भाजपा और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाकर रखती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ संविधान की पांचवी अनुसूची और पीईएसए अधिनियम को लागू करने को लेकर लिखित आश्वासन मिलने तक मेरे पिता और मैने मतदान नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि हमारा मतदान करना जरूरी है, लेकिन वो लोग ज्यादा जरूरी हैं, जिनका हम प्रतिनिधित्व करते हैं।’’

यह भी पढ़े | राजस्थान में गर्मी का कहर जारी: गंगानगर का अधिकतम तापमान 46 डिग्री के पार, अगले 2 दिन तक राहत के आसार नहीं.

पीईएसए अधिनियम पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों के विस्तार) अधिनियम से संबंधित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रतिनिधित्व में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय और प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए कुछ नहीं किया।

वसावा ने कहा, ‘‘ आश्वासन मिलने के बाद ही हम मतदान के बारे में सोचेंगे।’’

भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही उम्मीद है कि उन्हें बीटीपी का महत्वपूर्ण वोट मिलेगा। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा, ‘‘ भाजपा और उसकी सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कई काम काम किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने अनुसूचित जनजाति पर केंद्रित योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए। पीईएसए अधिनियम गुजरात में मेरे शासन में लाया गया। मुझे विश्वास है कि बीटीपी भाजपा के पक्ष में मतदान करेगी।’’

गुजरात में कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने विश्वास जताया कि बीटीपी के विधायक चुनाव में उनकी पार्टी को अपना समर्थन देंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ केंद्र की कांग्रेस सरकार ही थी जिसने पीईएसए अधिनियम को आगे बढ़ाया। हमारे विधायकों ने इसे लागू करने के लिए गुजरात विधानसभा के भीतर और बाहर लड़ाई लड़ी। कांग्रेस और बीटीपी की विचारधारा एक सी है और हमें विश्वास है कि उनका वोट हमें मिलेगा।’’

गुजरात विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 103 है। सभी तीन सीटों पर आराम से जीत के लिए उन्हें दो और वोट चाहिए। इसलिए बीटीपी के वोट भाजपा के लिए अहम हैं। वहीं, अगर ये दो वोट कांग्रेस को जाते हैं तो पार्टी दोनों सीटों पर जीत के थोड़ा सा करीब आ जाएगी लेकिन दूसरी सीट पर जीत दर्ज करने के लिए उसे बहुमत नहीं मिल पाएगा।

कांग्रेस को 70 वोटों की जरूरत है, जिनमें से 65 वोट उनके खुद के हैं और उन्हें निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी का समर्थन हासिल है।

भाजपा ने चार सीटों के लिए तीन उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं कांग्रेस ने दो उम्मीदवारों को टिकट दिया है। भाजपा यहां अपनी संख्या के मुताबिक दो सीटों पर आसानी से जीत सकती है जबकि कांग्रेस को भी एक सीट मिल सकती है लेकिन चौथी सीट के लिए दोनों पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला है।

भाजपा ने अभय भारद्वाज, रमीलाबेन बारा और नरहरि अमीन को उतारा है जबकि कांग्रेस की तरफ से शक्ति सिंह गोहिल और भरतसिंह सोलंकी मैदान में हैं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)