वाराणसी, 19 जून: वाराणसी के डोमरी गांव की एक महिला ने एक समाचार पोर्टल के पत्रकार और मुख्य संपादक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है क्योंकि इनकी एक रिपोर्ट में कथित तौर पर महिला की बातों को गलत ढंग से पेश करने के साथ-साथ उनकी जाति व वित्तीय स्थिति का भी मजाक उड़ाया गया है. कोतवाली के सर्कल अधिकारी प्रदीप सिंह चंदेल (Pradip Singh Chandel) ने कहा कि डोमरी गांव की एक महिला ने पिछले हफ्ते राम नगर पुलिस के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर एक नए पोर्टल के मुख्य संपादक और रिपोर्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
यह शिकायत आईपीसी की धारा 269 (उपेक्षापूर्ण कार्य), 501 (मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना) और अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है. चंदेल ने कहा कि छानबीन के लिए अब उन्हें यह मामला सौंप दिया गया है. डोमरी उन गांवों में से एक है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सांसद के रूप में गोद लिया गया है. महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह वाराणसी नगर निगम के साथ एक आउटसोर्स सैनिटरी स्टाफ के रूप में काम करती हैं और डोमरी गांव में रहती हैं.
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उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान खुद को पत्रकार बताने वाली एक महिला उनके गांव पहुंची और लॉकडाउन के बारे में बात करना शुरू कर दिया. महिला ने प्राथमिकी में बताया, "मैंने उन्हें बताया कि मुझे अपने परिवार को खिलाने में कोई समस्या नहीं हो रही है. हालांकि मुझे बाद में पता चला कि उन्होंने अपनी न्यूज स्टोरी में इस झूठ का उल्लेख किया है कि मैं एक नौकरानी का काम करती हूं और दूसरों के घरों में बर्तन मांजती हूं. उन्होंने अपनी स्टोरी में इस बात का भी उल्लेख किया कि मेरे पास खाने के लिए सिर्फ चाय और रोटी ही है और मेरे बच्चे लॉकडाउन के दौरान भूखे मर रहे हैं."
महिला ने आगे कहा, "मैं और मेरे बच्चे खाली पेट सो रहे हैं, इस बात का उल्लेख कर इस पत्रकार ने मेरी गरीबी और जाति का मजाक उड़ाया है. इससे मानसिक रूप से मुझे तकलीफ पहुंची है." महिला ने पोर्टल के मुख्य संपादक और पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.