अहमदाबाद (गुजरात), 2 दिसंबर : गुजरात (Gujarat) के अहमदाबाद शहर में अल्पसंख्यक और दलित बहुल दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर नियंत्रण को लेकर भाजपा और कांग्रेस (BJP and Congress) के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई चल रही है. करीब एक दशक पहले अस्तित्व में आई इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी कभी चुनाव नहीं जीती है. भाजपा को इस बार यह मिथक टूटने की उम्मीद है क्योंकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और आम आदमी पार्टी (आप) के भी यहां से प्रत्याशी उतारने के बाद चतुष्कोणीय मुकाबले में उसे कांग्रेस के विभाजित मतों पर काफी भरोसा है.
अहमदाबाद जिले की 21 विधानसभा सीटों में से एक दानीलिम्डा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है और यहां दूसरे चरण में पांच दिसंबर को चुनाव होना है. यह सीट परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी और 2012 तथा 2017 में यहां हुए विधानसभा चुनावों में मुख्य विपक्षी दल यहां से जीतता रहा है. अहमदाबाद जिले की 21 सीटों में से 2017 में भाजपा ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि शेष छह सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. दानीलिम्डा सीट पर लगभग 2,65,000 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 34 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों के हैं, जबकि 33 प्रतिशत दलित-अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के हैं. बाकी पटेल और क्षत्रिय समुदाय से हैं. यह भी पढ़ें : Gujarat Election 2022: उत्तर गुजरात में फिर से अच्छा प्रदर्शन करने पर है कांग्रेस की नजर, मगर कैप्टेन नहीं होना का भुगतना पड़ सकता है खामियाजा
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता शैलेश परमार 2012 से 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करके इस सीट पर जीत हासिल करते आ रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के नेता मनीष दोशी ने ‘पीटीआई-’ को बताया, “शैलेश परमार निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध हैं, चाहे उनकी जाति, पंथ, धर्म या राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो. निर्वाचन क्षेत्र के लोग उनसे स्नेह करते हैं और उन्हें पसंद करते हैं. उन्होंने विधानसभा क्षेत्र के लिए बहुत कुछ किया है.”