अहमदाबाद, 29 जुलाई अहमदाबाद की एक सत्र अदालत गुजरात में 2002 के दंगों के सिलसिले में बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगी।
अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश डी. डी. ठक्कर की अदालत को उनकी जमानत याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को फैसला सुनाना था, लेकिन इसे शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया।
अदालत को पहले याचिकाओं पर फैसला 26 जुलाई को सुनाना था। बहरहाल, अदालत ने इसे बृहस्पतिवार तक टालते हुए कहा था कि आदेश तैयार नहीं है। मगर अदालत ने बृहस्पतिवार को इस हफ्ते में दूसरी बार सीतलवाड़ और श्रीकुमार की याचिका पर फैसला टाल दिया।
अदालत ने सीतलवाड़ और श्रीकुमार के वकीलों और अभियोजन की दलीलों को सुनने के बाद पिछले हफ्ते अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
दोनों ने मामले की तफ्तीश करने के लिए गठित किए गए विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन किया है।
सीतलवाड़, श्रीकुमार और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को अहमदाबाद अपराध शाखा ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था।
विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अदालत को बताया था कि सीतलवाड़ और श्रीकुमार दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर रची गई ‘‘बड़ी साजिश’’ का हिस्सा थे, जिसका मकसद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को अस्थिर करना था।
उसने आरोप लगाया था कि गोधरा के बाद 2002 में भड़के दंगों के बाद पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये मिले थे, जिनका इस्तेमाल इस मकसद के लिए किया गया।
एसआईटी ने आरोप लगाया है कि श्रीकुमार ‘‘असंतुष्ट सरकारी अधिकारी’’ थे, जिन्होंने ‘‘निर्वाचित प्रतिनिधियों, नौकरशाही और पूरे गुजरात राज्य के पुलिस प्रशासन को बदनाम करने के लिए प्रक्रिया का दुरुपयोग किया।’’
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